इस योजना का शुभारंभ खेल मंत्रालय, मध्यप्रदेश सरकार द्वारा किया गया है । प्रदेश में प्रथम खेल नीति वर्ष 1989 में बनायीं गयी थी तथा विभिन्न तरह के मूल्यांकन के बाद इस नीति को कार्यान्वित किया गया है ।
उद्देश्य:
- खेलो में प्रदेशों को राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर उठाना ।
- खेलो के प्रति व्यापक भागीदारी सुनिश्चित करना ।
- प्रतिभाशाली खिलाडी का चयन करना ।
- प्रदेश के युवाओं की उर्जा को राज्य एवं देश के विकास के लिए प्रोत्साहित कर उसका उपयोग करना ।
ढांचागत विकास :
- प्रत्येक ग्राम पंचायत को कम से कम खो-खो, कबड्डी, कुश्ती एवं व्हॉलीवाल आदि ग्रामीण खेलों के लिए एक खेल मैदान चरणबद्ध तरीके से आगामी 5 वर्षों में तैयार करना ।
- 5000 से अधिक आबादी वाले 381 गांवों में जहॉ स्कूल उपलब्ध है, स्कूल शिक्षा विभाग व्यायाम शिक्षक की नियुक्ति सुनिश्चित करना।
- नई कालोनियों के निर्माण के समय खेल मैदान के लिए आवश्यक भूमि अवश्य छोडना ।
- स्कूल शिक्षा विभाग नये स्कूलों को मान्यता तभी दे जबकि उनके पास निर्धारित मापदण्ड का खेल मैदान उपलब्ध हो।
लाभ:
- मान्यता प्राप्त अन्तर्राष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में देश का प्रतिनिधित्व करते हुए पदक प्राप्त करने वाले 55 वर्ष से अधिक आयु के खिलाड़ी को रू. 5,000/- प्रतिमाह सम्मान निधि प्रदान की जाएगी ।
- प्रदेश के प्रत्येक जिले में 3 खेल मैदान तैयार करने हेतु रू. 30,000/- प्रति मैदान तथा उन मैदानों पर 01 अथवा 02 क्रीड़ा निदेशकों को रू. 600/- प्रतिमाह मानदेय की व्यवस्था राज्य शासन द्वारा अतिरिक्त रूप से उपलब्ध कराई जाएगी ।
- अन्तराष्ट्रीय/राष्ट्रीय खेलों में राज्य का प्रतिनिधित्व करने वाले खिलाड़ियों को शासकीय अधिकारियों के समान उपचार प्रदान किया जाएगा।
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