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टीडीएफ: टीडीएफ योजना से देश को होंगे ये लाभ, जानिए विकास की खास तकनीकें-

रक्षा मंत्रालय के लिए स्वदेशी तकनीकों के विकास को प्रोत्साहन देने के उद्देश्य से शुरू की गई (टेक्नोलॉजी डेवलपमेंट फंड) टीडीएफ योजना के तहत देश में शानदार प्रगति हुई है। जनवरी 2023 से अब तक इस योजना के तहत 120 करोड़ रुपए आवंटित किए गए हैं, जिनमें से 43.89 करोड़ रुपए अनुदान के तौर पर उद्योगों को वितरित किए गए हैं। इस योजना के अंतर्गत 16 माइक्रो, स्मॉल और मीडियम एंटरप्राइजेज और 20 स्टार्टअप्स को सहायता दी गई है। पिछले 5 वर्षों में MSMEs के लिए 182.41 करोड़ रुपए लागत की 42 परियोजनाएं और स्टार्टअप्स के लिए 59.47 करोड़ रुपये लागत की 25 परियोजनाओं को मंजूरी दी गई है। यह योजना रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) के माध्यम से चलाई जा रही है। यह योजना रक्षा मंत्रालय का एक प्रमुख कार्यक्रम है।

इन तकनीकों का हुआ विकास

इस योजना के तहत 26 अत्याधुनिक तकनीकों का विकास सफलतापूर्वक किया गया है। ये तकनीकें न केवल देश के रक्षा क्षेत्र को मजबूत करती हैं बल्कि भारतीय उद्योगों और स्टार्टअप्स को ग्लोबल चुनौतियों के लिए तैयार भी करती हैं। जिनमें से प्रमुख विकसित तकनीकें इस प्रकार हैं।

  • उन्नत सैन्य विमान के लिए एवीपीएसएम और एआरआईएनसी 818 तकनीक।
  • नौसेना के जहाजों के लिए 40 TPH और 125 TPH पंप।
  • न्यूक्लियर इमरजेंसी के दौरान शरीर से दूषित पदार्थों को हटाने के लिए प्रु डिकॉर्प कैप्सूल।
  • उन्नत ड्रोन, मिसाइल क्रायोकूलर और मानव-स्वास्थ्य पर आधारित एल्गोरिदम।
  • वर्चुअल सेंसर्स और एआई आधारित तकनीकें।

स्टार्टअप्स को मिला बढ़ावा

(टेक्नोलॉजी डेवलपमेंट फंड) टीडीएफ योजना ने विशेष रूप से उन स्टार्टअप्स को मंच दिया है, जो एडवांस टेक्नोलॉजी के विकास में रुचि रखते हैं। ये तकनीकें केवल रक्षा क्षेत्र तक सीमित नहीं हैं बल्कि औद्योगिक और चिकित्सा क्षेत्र में भी उपयोगी साबित हो सकती हैं।

रक्षा उत्पादन में आत्मनिर्भरता 

यह योजना आत्मनिर्भर भारत अभियान के तहत एक महत्वपूर्ण पहल है। इससे न केवल विदेशी निर्भरता कम हो रही है बल्कि देश के युवा उद्यमियों और वैज्ञानिकों को भी प्रेरणा मिल रही है। आने वाले वर्षों में यह योजना भारतीय रक्षा उद्योग को नई ऊंचाइयों तक ले जाएगी। यह योजना इस बात का उदाहरण है कि सरकार भारतीय रक्षा उत्पादन को आत्मनिर्भर बनाने के लिए कितनी प्रतिबद्ध है। DRDO की सक्रिय भागीदारी और उद्योगों के साथ तालमेल ने इस योजना को सफल बनाने में बड़ी भूमिका निभाई है।

भविष्य में ये होगा फायदा 

इस योजना के तहत विकसित तकनीकों का उपयोग केवल रक्षा क्षेत्र तक सीमित नहीं रहेगा। इन तकनीकों को नागरिक क्षेत्र में भी लागू किया जा सकता है, जिससे भारतीय उद्योगों को नई गति मिलेगी। इसके अलावा, यह योजना अन्य उभरते स्टार्टअप्स और एमएसएमई के लिए भी प्रेरणा स्रोत बनेगी।यह योजना रक्षा क्षेत्र में इनोवेशन, डेवलपमेंट और आत्मनिर्भरता के लिए एक मील का पत्थर साबित हो रही है। भारतीय उद्योग और स्टार्टअप्स के साथ मिलकर सरकार तकनीकी उत्कृष्टता के नए मानक स्थापित कर रही है। यह योजना न केवल आज की जरूरतों को पूरा कर रही है बल्कि भविष्य की चुनौतियों के लिए भी भारतीय रक्षा क्षेत्र को तैयार कर रही है।

निष्कर्ष  – टीडीएफ योजना 

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