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इलेक्टोरल बॉन्ड: सुप्रीम कोर्ट ने इस वजह से रद्द किया इलेक्टोरल बान्ड, जाने डिटेल-

सुप्रीम कोर्ट ने आज इलेक्टोरल बान्ड को रद्द कर दिया, जिसे राजनीतिक फंडिंग में पारदर्शिता लाने के लिए राजनीतिक दलों को दिए जाने वाले नकद चंदे के विकल्प के रूप में 2018 में लाया गया था। सुप्रीम कोर्ट ने इलेक्टोरल बॉन्ड का अहम फैसला सुनाया है। सुप्रीम कोर्ट ने इलेक्टोरल बॉन्ड को असंवैधानिक करार दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने फैसले में कहा कि चुनावी बांड योजना, आयकर अधिनियम की धारा 139 द्वारा संशोधित धारा 29(1)(सी) और वित्त अधिनियम 2017 द्वारा संशोधित धारा 13(बी) का प्रावधान अनुच्छेद 19(1)(ए) का उल्लंघन है। सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया कि चुनावी बांड जारी करने वाला बैंक, यानी भारतीय स्टेट बैंक, चुनावी बांड प्राप्त करने वाले राजनीतिक दलों का विवरण और प्राप्त सभी जानकारी जारी करेगा।

इलेक्टोरल बॉन्ड 

यह एक वचन पत्र की तरह होता था जिसे भारत का कोई भी नागरिक या कंपनी भारतीय स्टेट बैंक की चुनिंदा शाखाओं से खरीद सकता था और अपनी पसंद के किसी भी राजनीतिक दल को गुमनाम तरीके से दान कर सकता था। इन पर कोई ब्याज भी नहीं लगता था।  ये बांड 1000 रुपए, 10000 रुपए, 1लाख रुपए, 10 लाख, और 1 करोड़ रुपए के गुणकों में बेचे जाते थे। किसी राजनीतिक दल को दान देने के लिए उन्हें केवाईसी अनुपालक खाते के माध्यम से खरीदा जा सकता था। राजनीतिक दलों को इन्हें एक निर्धारित समय के भीतर भुनाना होता था। दानकर्ता का नाम और अन्य जानकारी दस्तावेज पर दर्ज नहीं की जाती है और इस प्रकार चुनावी बांड को गुमनाम कहा जाता है। किसी व्यक्ति या कंपनी की तरफ से खरीदे जाने वाले चुनावी बांड की संख्या पर कोई सीमा नहीं थी। योजना के तहत चुनावी बॉन्ड जनवरी, अप्रैल, जुलाई और अक्टूबर के महीनों में 10 दिनों की अवधि के लिए खरीद के लिए उपलब्ध कराए जाते थे। इन्हें लोकसभा चुनाव के वर्ष में केंद्र सरकार द्वारा अधिसूचित 30 दिनों की अतिरिक्त अवधि के दौरान भी जारी किया जाता था।

योजना का क्रियान्वयन

इस योजना को राजनीतिक दलों की फंडिंग में पारदर्शिता लाने के लिए शुरू किया गया था। इस योजना का लाभ लेने के लिए केवल वही पार्टी योग्य थी जो लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 के तहत पंजीकृत है। इसके अलावा एक और शर्त थी कि उस पार्टी को पिछले लोकसभा या विधानसभा चुनावों में कुल पड़े मतों का कम से कम एक प्रतिशत मिला हो। योग्य पार्टियों को अपने बैंक खाते की जानकारी चुनाव आयोग को देनी होती थी। भारतीय स्टेट बैंक द्वारा अब तक 16,518.11 करोड़ रुपए के इलेक्टोरल बांड बेचे जा चुके हैं।

इलेक्टोरल बान्ड रद्द होने का कारण

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि राजनीतिक दलों को गुमनाम चंदे वाली इलेक्टोरल बॉन्ड योजना संविधान के अनुच्छेद 19(1)(ए) के तहत प्रदत्त मतदाताओं के सूचना के अधिकार का उल्लंघन करती है। और चुनावी बॉन्ड योजना भ्रष्टाचार को बढ़ावा देती है, तथा विपक्ष में राजनीतिक दलों के लिए समान अवसर को समाप्त करती है। यह नीति में बदलाव लाने या सत्ता में राजनीतिक दल को वित्तीय योगदान देने वाले व्यक्ति को लाइसेंस देने के रूप में हो सकती है, यानी यह विधायकों तक पहुंच बढ़ाता है और यह पहुंच नीति निर्माण पर प्रभाव में भी तब्दील हो जाती है।

इलेक्टोरल बान्ड रद्द होने का प्रभाव

पारदर्शिता के लिए इलेक्टोरल बॉन्ड जरूरी है। इसके रद्द होने पर पारदर्शिता खत्म होगी और फर्जी कंपनियां खुलेगीं। ब्लैक मनी को भी बढ़ावा मिलेगा। इलेक्टोरल बॉन्ड के लिए एक बार फिर विंडो खोली जानी थी। लेकिन कोर्ट के फैसले के चलते इसे टाल दिया था। आम चुनाव से ठीक पहले इलेक्टोरल बॉन्ड पर रोक लग गई है। ऐसे में चुनावी चंदे लेने के प्लान पर राजनीतिक दलों को झटका लगा है। राजनीतिक दलों को चंदे की समस्या से जूझना होगा। चुनाव में खर्च के लिए अन्य सोर्स पर बात करनी होगी। आगे चंदा कैसे लिया जाएगा, इसका विकल्प तलाशना होगा। चुनाव आयोग से राय-मशविरा करनी होगी। कोर्ट से भी विकल्प देने की मांग की जा सकती है।

अब तक जारी हुए इलेक्टोरल बॉन्ड

अब तक कुल 16 हजार 518 करोड़ रुपए के इलेक्टोरल बॉन्ड जारी हुए हैं। इसमें से 50% से ज्यादा बॉन्ड बीजेपी को मिले हैं। इस बॉन्ड पर कोई रिटर्न नहीं मिलता। आप इस बॉन्ड को बैंक को वापस कर सकते हैं और अपना पैसा वापस ले सकते हैं लेकिन उसकी एक अवधि तय होती है। ये अमाउंट पॉलिटिकल पार्टियों को दिए जाने वाले दान की तरह है। इससे 80जीजी 80जीजीबी इनकम टैक्स में छूट मिलती है।

निष्कर्ष  – इलेक्टोरल बान्ड 

हमने आपको सुप्रीम कोर्ट द्वारा इलेक्टोरल बान्ड के रद्द होने से संबंधित संपूर्ण जानकारी प्रदान की है। उम्मीद करते हैं, आपको जानकारी रोचक लगी होगी। कैसी लगी आपको हमारी आज की पोस्ट, आप हमें Comment box में बताना ना भूलें। और यदि आपको हमारी पोस्ट पसंद आती है तो इस पोस्ट से मिलने वाली जानकारी अपने दोस्तों के साथ Social Media Sites, Facebook, Instagram, twitter, what’s app पर ज़रुर शेयर करें। ताकि उन्हें भी यह महत्वपूर्ण जानकारी मिल सके और वे भी इसका लाभ उठा सकें।

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