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वन धन योजना: आदिवासीयों के लिए वरदान बनी मोदी जी की यह योजना, जाने कैसे-

अब तक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार ने आदिवासियों के कल्याण के लिए बहुत सारी योजनाओं की शुरुआत की है। जिसमें से एक वन धन योजना भी है, जिसकी शुरुआत 2014 में आदिवासी समुदाय के लोगों को आर्थिक रूप से मजबूत बनाने के उद्देश्य से की गई थी। यह योजना खास तौर पर देश के आदिवासियों के लिए शुरू की गई है। यह योजना कौशल प्रशिक्षण और क्षमता निर्माण प्रदान करके आदिवासी समुदायों की आय बढ़ाने पर केंद्रित है। इस योजना में तीन स्तरीय कार्यान्वयन प्रक्रिया है, जिसमें ग्राम स्तर पर वन धन विकास केंद्रों, समूह स्तर पर वन धन विकास संरक्षण समितियों और जिला स्तर पर वन धन विकास समूह का गठन शामिल है।

प्रधानमंत्री वन धन योजना

वन धन योजना 14 अप्रैल, 2018 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा जनजातीय मामलों के मंत्रालय के साथ केंद्रीय स्तर पर नोडल विभाग के रूप में और राष्ट्रीय स्तर पर नोडल एजेंसी के रूप में शुरू की गई थी। इस विकास योजना के तहत आदिवासी समुदायों को स्वयं सहायता समूह बनाने और उनके मूल्य को बढ़ाने के लिए, वन उपज का प्रसंस्करण करने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है। इन समूहों को आवश्यक बुनियादी ढांचे, जैसे उपकरण और मूल्य संवर्धन और उद्यमिता में प्रशिक्षण प्रदान किया जाता है। यह योजना जनजातीय समुदायों को उनके उत्पादों के लिए ऑनलाइन प्लेटफॉर्म सहित विभिन्न चैनलों के माध्यम से बाजारों में संपर्क भी प्रदान करती है। इस योजना का लक्ष्य देश भर में 50,000 वन धन विकास केंद्र स्थापित करने का है, जिससे लगभग 10 लाख आदिवासी उद्यमियों को लाभ होगा।

योजना के प्रमुख काम

वन धन योजना का प्रमुख काम आदिवासी लोगों के लिए आजीविका सृजन को लक्षित करना और उन्हें उद्यमियों में बदलना है। इसके अलावा वनाच्छादित जनजातीय जिलों में वन धन विकास केन्द्रों के स्वामित्व वाले जनजातीय समुदाय को स्थापित करना है। केंद्र सरकार इस योजना के तहत देश के जनजातीय क्षेत्रों में 50,000 वन धन विकास केंद्र स्थापित करेगी, ताकि वन उपज के लिए प्राथमिक प्रसंस्करण और मूल्य संवर्धन की उपलब्धता सुनिश्चित हो सके और जनजातियों के लिए रोजगार उपलब्ध हो सके। इस योजना के तहत देश भर में अभी तक 141 आउटलेट खोले जा चुके हैं, जहां जनजातीय उत्पादों को बढ़ावा दिया जा रहा है।

योजना का मुख्य उद्देश्य

आदिवासियों के जीवन को बेहतर बनाना इस योजना का मुख्य उद्देश्य है। इस योजना का उद्देश्य यह भी है कि देश की जनजातीय आबादी का आर्थिक विकास हो सके। इस विकास योजना में भारत में आदिवासियों को वैकल्पिक आजीविका के अवसर प्रदान करके और उनकी सामाजिक एवं आर्थिक स्थिति में सुधार करके उनके जीवन को बदलने की क्षमता है। यह योजना न केवल उद्यमिता को बढ़ावा देती है बल्कि वनों के संरक्षण और जैव विविधता की सुरक्षा में भी मदद करती है।

वन धन योजना से तैयार उत्पाद

योजना के तहत फलों से बनी कैंडी जैसे -आंवला, अनानास, जंगली सेब, अदरक, अंजीर, इमली आदि, जैम जैसे – अनानास, आंवला, बेर, रस और स्क्वैश  जैसे – अनानास, आंवला, जंगली सेब, बेर, बर्मी अंगूर आदि से, मसाले  जैसे – दालचीनी, हल्दी, अदरक आदि, अचार  जैसे – बांबू शूट, किंग चिली मिर्च आदि के  और संसाधित गिलोय से लेकर सभी उत्पादों की एक विस्तृत श्रृंखला को संसाधित करते हुए वन धन विकास केंद्रों में पैक किया जाता है और इन्हें ट्राइब्स इंडिया आउटलेट्स के माध्यम से TribesIndia.com पर और बाजार में बेचा जाता है।

वन धन योजना के अंतर्गत आने वाले क्षेत्र

इस योजना के अंतर्गत जिन क्षेत्रों के आदिवासी लोगों को लाभ मिलेगा वह इस प्रकार हैं।

  • आंध्र प्रदेश एवं अरुणाचल प्रदेश
  • असम, बिहार, छत्तीसगढ़, गोवा एवं गुजरात
  • हिमाचल प्रदेश और जम्मू और कश्मीर
  • झारखंड, कर्नाटक, मध्य प्रदेश एवं महाराष्ट्र
  • मणिपुर, मेघालय, मिजोरम तथा नागालैंड
  • ओडिशा, राजस्थान, सिक्किम एवं तमिलनाडु
  • तेलंगाना, त्रिपुरा, उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश एवं पश्चिम बंगाल,
  • अंडमान और निकोबार द्वीप समूह,
  • दादर और नगर हवेली के अलावा दमन और दीव, लक्षद्वीप और पुदुचेरी।

अब तक 300 वन धन केंद्रों की हुई स्थापना

प्रधानमंत्री की इस योजना के अंतर्गत वन संपदा से समृद्ध जनजातिय जिलों में  वन धन विकास केंद्र जनजातीय समुदाय के द्वारा संचालित किए जाते हैं। हर केंद्र 10 जनजातीय स्वयं सहायता का निर्माण करता है तथा हर समूह में करीब 30 जनजातीय संग्रहकर्ता शामिल होंगे। इस योजना के अंतर्गत पूरे देश में लगभग 30,000 स्वयं सहायता समूह को शामिल करके 3,000 वन धन केंद्रों की स्थापना की गई है।

वन धन योजना के लाभ एवं विशेषताएं 

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा शुरू की गई इस योजना के मुख्य लाभ एवं विशेषताएं इस प्रकार हैं।

  • आदिवासी जनजाति के द्वारा तैयार किए गए उत्पादों को बेहतर बनाया जाएगा एवं उनका उचित मूल्य लगाया जाएगा। जिससे उनकी आय में वृद्धि होगी। ‌
  • वन क्षेत्र में रहने वाले आदिवासी के लिए, लघु उत्पादन उनकी जीवन यापन का एक मात्र जरिया है। इसी कारण सरकार ने यह योजना शुरू की है।
  • प्रधानमंत्री की इस योजना के अंतर्गत आवेदन करने हेतु लाभार्थी को इसकी आधिकारिक वेबसाइट पर जा कर आवेदन करना होगा।
  • सरकार द्वारा वन धन विकास केंद्र के जरिए जनजातीय वर्ग के युवाओं को  ईमली, महुआ, के फूल के भंडरण, कलौंजी की सफाई एंव अन्य माइनर फोरेस्ट उत्पाद जैसे शहद, ब्रशवुड, केन्टस, टसर और आदिवासी क्षेत्रों में पाई जाने वाली अनेक प्रकार की जड़ी बूटियों के रख-रखाव और मार्केटिंग की ट्रेनिंग भी दी जाएगी।
  • इस योजना के माध्यम से आदिवासियों को आर्थिक सहायता भी मुहैया कराई जाएगी।
  • आदिवासी जनजातीय वर्ग की कार्य क्षमता बेहतर होने  के कारण देश के विकास में बहुत मदद मिलेगी।

वन धन योजना हेतु योग्यताएं

वह सभी व्यक्ति को इस योजना के तहत आवेदन करना चाहते हैं, तो उनके पास निम्न योग्यताओं का होना अनिवार्य है।
  • आवेदक को भारत का मूल निवासी होना अनिवार्य है।
  • आवेदन कर्ता गरीबी रेखा से नीचे के परिवारों से हो।
  • इस योजना के अंतर्गत केवल आदिवासी ही आवेदन कर सकते हैं।

आवश्यक दस्तावेज‌ 

वह सभी व्यक्ति को इस योजना के तहत आवेदन करना चाहते हैं, तो उनके पास निम्न दस्तावेजों का होना अनिवार्य है।

  • आधार कार्ड
  • पैन कार्ड
  • आय प्रमाण पत्र
  • जाति प्रमाण पत्र
  • निवास प्रमाण पत्र
  • पासपोर्ट साइज फोटो

निष्कर्ष – प्रधानमंत्री वन धन योजना

हमने यहाँ आपको प्रधानमंत्री की इस विकास योजना से संबंधित सभी जानकारी दी है। उम्मीद करते है की आपको सभी जानकारी पसंद आई होगी। इस तरह आप पूरी जानकारी प्राप्त कर इस योजना का लाभ उठा सकते हैं, अगर आप अन्य किसी योजनाओं की जानकारी लेना चाहते हैं, तो हमारी वेबसाइट में दी गई अन्य योजनाओं की जानकारी प्राप्त कर सकते हैं। और उस योजना से मिलने वाले लाभों को ले सकते हैं। दोस्तोंं, कैसी लगी आपको योजना के बारे में संपूर्ण जानकारी, आप हमें Comment box में बताना ना भूलें। और यदि आपको हमारी पोस्ट पसंद आती है तो इस पोस्ट से मिलने वाली जानकारी अपने दोस्तों के साथ भी Social Media Sites, Facebook, Instagram, twitter, what’s app पर ज़रुर शेयर करें। ताकि उन्हें भी यह महत्वपूर्ण जानकारी मिल सके और वे भी इसका लाभ उठा सकें।

 

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