इंजीनियरिंग के साथ की शुरुआत
23 वर्षीय क्षितिज ने इंजीनियरिंग की पढ़ाई की है। जब वे प्रथम वर्ष में थे, तब उन्होंने अपने व्यवसाय के शुरुआत की थी। इसके बाद पढ़ाई पूरी होते ही उन्होंने पूरी तरह से व्यवसाय के काम में जुट गए। पिछले कुछ वर्षों में देश में मिट्टी के बर्तनों की मांग बढ़ी है। कुल्हड़ चाय, कुल्हड़ लस्सी, कुल्हड़ दूध, अब तो कुल्हड़ में चाट भी मिलती है। लोग अपने किचन में मिट्टी से बने बर्तन रखना भी पसंद कर रहे हैं।
सिर्फ 1.5 लाख से की शुरुआत
सबसे पहले क्षितिज ने भोपाल में पारंपरिक हब नाम से अपना बिजनेस शुरू किया। वे चीनी मिट्टी से बने बर्तन बनाने वाले कारीगरों और कुम्हारों से मिले। उनके काम को समझा। फिर उनके साथ जुड़ गए और सोशल मीडिया के जरिए अपने उत्पाद की मार्केटिंग करने लगे। पहले वे केवल कुल्हड़ की मार्केटिंग करता थे। बाद में उन्होंने अन्य मिट्टी के बर्तन जैसे कढ़ाई, कुकर, थाली भी बेचना शुरू कर दिया। इस व्यवसाय में क्षितिज ने केवल करीब 1.5 लाख रुपये खर्च किए थे अपने बिजनेस को शुरू करने के लिए। इस पैसे का अधिकांश हिस्सा मिट्टी के बर्तनों के विपणन और खरीद पर खर्च किया गया था। उन्होंने वीडियो, फोटो और पोस्टर बनवाने में भी पैसा लगाया।
देशभर में कर रहे मार्केटिंग
सालभर काम करने के बाद क्षितिज का बिजनेस ठीक-ठाक चलने लगा। इसके बाद उन्होंने अपना दायरा बढ़ाना शुरू किया। वे भोपाल के बाहर भी मार्केटिंग करने लगे। अच्छा रिस्पॉन्स मिला तो उन्होंने मध्य प्रदेश के साथ ही दूसरे राज्यों में भी लोकल कारीगरों से टाइअप करना शुरू किया। वे उन कारीगरों से अपनी डिमांड के मुताबिक प्रोडक्ट बनवाने लगे और उसकी मार्केटिंग देशभर में करने लगे। फिलहाल मध्य प्रदेश, राजस्थान, उत्तर प्रदेश सहित देशभर में 150 से ज्यादा लोकल कारीगर उनके साथ जुड़े हैं।
जाने उत्पाद कैसे बनता है?
क्षितिज अपने ज्यादातर उत्पाद स्थानीय कारीगरों से तैयार करवाते हैं। उन्हें अपनी मांग पहले ही बता देते हैं, जिसके अनुसार वे उत्पाद तैयार करते हैं। इसके बाद उनकी टीम अपनी यूनिट से प्रोडक्ट कलेक्ट करती है। फिर वे इसे अपनी इकाई में लाते हैं, इसकी गुणवत्ता परीक्षण करने के बाद इसे ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर अपलोड करते हैं। इसके अलावा वे अपनी यूनिट में भी प्रोडक्ट बनाते हैं। इसके लिए वे उसी मिट्टी का इस्तेमाल करते हैं, जो किसानों के फार्म हाउस से निकलती है। इससे बने मिट्टी के बर्तनों से ज्यादा टिकाऊ होते हैं। वर्तमान में वे कुल्हड़ का निर्माण कर रहे हैं, अपनी इकाई में मिट्टी के बर्तनों और प्लेटों का उपयोग करते हैं और फेंकते हैं।
10 लाख का सालाना टर्नओवर
लॉकडाउन के बाद भी सालाना 10 लाख रुपए उनका टर्नओवर रहा है। लॉकडाउन से पहले उनके पास योजना 10 से 15 ऑर्डर आ जाते थे। हालांकि अब इसमें थोड़ी कमी आई है। क्षितिज शुरू में ज्यादातर मार्केटिंग सोशल मीडिया और माउथ पब्लिसिटी के जरिए करते थे। जो लोग उनसे मिट्टी के बर्तन की मांग करते थे, वे उसको उनके घर पहुंचा देते थे। करीब एक साल तक उनका काम ऐसे ही चलता रहा। इसके बाद उन्हें कुछ सरकारी कार्यक्रमों में हिस्सा लेने का मौका मिला। जिससे उन्हें काफी फायदा हुआ। और उनकी एक पहचान बन गई।
कोरोना काल का असर
कोरोना काल से ज्यादातर लोग ऑनलाइन कारोबार कर रहे हैं। इसमें सोशल मीडिया और इंडिया मार्ट उनके लिए सबसे उपयोगी प्लेटफॉर्म हैं। वे अपने अधिकांश उत्पाद इंडिया मार्ट के माध्यम से बेचते हैं। यदि कोई छोटा ऑर्डर है, तो उत्पाद को सीधे ग्राहक को कूरियर के माध्यम से भेजते हैं। यदि ऑर्डर बड़ा है, तो थोक में, तो पहले ग्राहक को नमूना भेजते हैं। नमूना पसंद करने के बाद, उत्पाद को ट्रांसपोर्ट के माध्यम से भेजेंते हैं। फिलहाल क्षितिज के साथ 6 लोगों की टीम काम कर रही है। वे मिट्टी से बने लगभग हर प्रकार के मिट्टी के बर्तनों और घर की सजावट के सामानों की मार्केटिंग कर रहे हैं। इसके साथ ही वे स्थानीय कारीगरों द्वारा बनाई गई कलाकृति के लिए भी काम कर रहे हैं।