इंडिया दैट इज भारत
इन दिनों देश में भारत और इंडिया शब्द को लेकर राजनीति जोरों पर है। केंद्र सरकार जहां G20 के उपलक्ष्य में भेजे जा रहे आधिकारिक निमंत्रण पत्र पर भारत लिख कर भेज रही है तो वहीं विपक्ष इसका विरोध कर रहा है। इन सब के बीच कुछ लोगों की दिलचस्पी यह जानने में है कि भारत का नाम आखिर भारत या इंडिया कब पड़ा था? आखिर भारत के संविधान में इंडिया नाम की कहानी क्या है और इसका पूरा इतिहास क्या है?
संसद की पांच दिनों की विशेष सत्र 18 सितंबर से शुरू होने की तैयारी में है और सरकार से एक बड़े फैसले की काफी अपेक्षा है। यूनियन सिविल कोड (UCC) और एक देश, एक चुनाव के बाद एक और अनुमान लगा है, जिसका संकेत संविधान में अनुच्छेद 368 के तहत हमारे देश के नाम के परिवर्तन की ओर है, जिसमें इंडिया से भारत का बदलाव किया जाएगा।
आपको जानकर आश्चर्य होगा कि देश की आजादी के बाद भारत के संविधान में भारत शब्द ही नहीं था। लेकिन अब भारतीय संस्कृति, भारतीय भाषाओं में लिखित ऐतिहासिक साहित्य, धार्मिक ग्रंथों, लोगों की आस्थाओं, उनके जुड़ाव और भावनाओं का मान रखते हुए भारत शब्द को उसका सम्मान दिया जाएगा। इन सब पहलुओं पर विचार के बाद ही भारत के संविधान की शुरुआत में लिखा गया इंडिया दैट इज भारत।
भारत के अन्य नाम
वर्तमान समय में भारत भारत, इंडिया एवं हिन्दुस्तान के नाम से प्रसिद्ध है। लेकिन प्राचीन समय में भारत को भारत, इंडिया, हिन्दुस्तान, आर्यावर्त, जंबूद्वीप, भारतखण्ड, हिन्द आदि अन्य नामों से भी जाना जाता था। आइए जानते हैं कि भारत के यह सब नाम कैैसे पड़ेे।
भारत का नाम इंडिया कैसे पड़ा?
इतिहास के पन्नों को देखा जाए तो इंडिया शब्द का उदय सिंधु नदी से हुआ है। क्योंकि सिंधु नदी को इंडस वैली कहा जाता था। भारत को सभ्यताओं का देश कहा जाता है। दुनिया में सबसे पहले सभ्यता यहीं पर जन्मी थी। हमारी सभ्यता का नाम सिंधु घाटी था। जो सिंधु नदी के पास था। सिंधु नदी का दूसरा नाम इंडस वैली था। जिसके कारण अपने देश का नाम इंडिया पड़ा।
सातवीं शताब्दी में प्राचीन यूनान के लोगों को फारसियों के जरिए हिंद की जानकारी मिली। बाद में यूनानियों ने भारत को इंडस और इंडिका कहना शुरू कर दिया। यूनानी शासक सिकंदर ने जब भारत पर आक्रमण किया, तब इसकी पहचान इंडिया के तौर पर हो गई थी। इतिहासकारों का कहना है कि 16वीं शताब्दी तक हिंदुस्तान और भारत नाम सबसे ज्यादा इस्तेमाल किया जाते थेे। जब अंग्रेज आए तो उन्होंने सरकारी दस्तावेजों से लेकर पत्राचार में हिंदुस्तान या भारत के बजाय इंडिया नाम का इस्तेमाल शुरू कर दिया। ब्रिटिश शासकों की गुलामी और फिर दासता से आजादी के बाद आज तक भारत का अंग्रेजी नाम इंडिया ही इस्तेमाल किया जाता हैै।
वाकई भरत के नाम पर पड़ा भारत
ज्यादातर भारतीयों के बीच महाभारत के आदिपर्व में आई ये प्रेमकथा इतनी लोकप्रिय हो गई कि वे दुष्यंत और शकुंतला के बेटे सम्राट भरत के नाम पर ही देश का नाम भारत पड़ना मानते हैं। अगर शकुंतला और दुष्यंत के बेटे भरत इतने प्रतापी थे कि उनके नाम पर इस देश का नाम भारत पड़ा तो उनके बारे में इस लोकप्रिय प्रेमकथा के अलावा कुछ और क्यों नहीं मिलता है? इस आधार पर भरत के नाम पर देश का नाम भारत पड़ना गहन शोध का विषय है।
जैन धर्म मानने वाले कहते हैं कि भरत चक्रवर्ती सम्राट के नाम पर भारत देश का नाम पड़ा है। हिंदू ग्रंथ स्कन्ध पुराण के अनुसार माना जाता है कि ऋषभ के पुत्र भरत के भारत का नाम भारत-वर्ष पडा़ था।
हिंदुस्तान कैसे पड़ा?
मध्ययुग में तुर्किस्तान एवं ईरान से कुछ मुस्लिम व्यापारी एवं लुटेरे भारत आए थे। यहाँ के संपन्न स्थानीय निवासियों को उन्होंने हिंदू नाम दिया था। बाद में हिंदुओं के देश के नाम से प्रचलित हो गया। हिंदुस्तान शब्द का भी उसके साथ ही उदय हुआ था।
आर्यावर्त
आर्यावर्त भारत का सबसे पुराना नाम माना जाता है। कहा जाता है कि आर्यों के आगमन से पहले यहां पर मनुष्य नहीं रहते थे। उन्होंने ही लोगों को यहाँ पर बसाया था। इसीलिए इस देश का नाम उस समय आर्यावर्त पड़ा था।
जम्बूद्वीप
धार्मिक वेदों मान्यताओं के अनुसार, धरती पर पहले सात द्वीप हुआ करता था। जिसमें जम्बू इन सातों दीपों के बीच में स्थित था। इसी दीप के नाम पर कभी भारत का नाम जम्बूद्वीप हुआ करता था।
भारतखण्ड
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार जंबूद्वीप के नौ खंड थे। जिसमें एक खंड का नाम भारत था। इसी खण्ड के नाम पर कभी भारतखण्ड नाम हुआ करता था।
हिन्द
हिंद नाम सिंध का एक विकृत संज्ञा है। कहा जाता है कि सिंधु में स के जगह ह का उच्चारण के कारण हिन्द नाम पड़ा था। जिस का अधिकारिक कोई साक्ष्य नहीं है।
निष्कर्ष – भारत या इंडिया
भारत का प्राचीन इतिहास हमेशा से आकर्षक और जटिल रहा है। इस इतिहास को बनाने वाले कई अलग-अलग काल और राजवंश हैं, और प्रत्येक की अपनी अनूठी कहानी है। उम्मीद करते हैं कि आपको ” भारत या इंडिया ” लेख अच्छा लगा होगा
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