राजस्थान की सरकार ने अपने प्रदेश के गरीब परिवारों और असहाय बेरोजगार परिवारों को आर्थिक सहायता प्रदान करने के लिए ” इंदिरा गांधी शहरी रोजगार गारंटी योजना ” को शुरू किया है। जिसके तहत मनरेगा के आधार पर बजट घोषणा के अनुरूप शहरों में भी अब रोजगार देने की गारंटी दी गई है। इस योजना से प्रदेश के शहरी इलाकों में रहने वाले परिवारों को अपनी जीविका चलाने में सहयोग मिलेगा। इस योजना के जरिए मनरेगा की तरह शहरी इलाकों में मांग किए जाने पर 100 दिन का रोजगार दिया जाता है। इस योजना को सुचारू रूप से चलाने के लिए 800 करोड़ रुपए खर्च किए गए हैं।
रोजगार प्राप्त होंगे जाब कार्ड के जरिए:
इस योजना का संचालन कार्य नगर निकाय की देखरेख में किया जाता है। ” इंदिरा गांधी शहरी रोजगार गारंटी योजना ” के तहत शहरी इलाकों के 2 लाख से ज्यादा परिवारों के लिए साढ़े तीन लाख से अधिक जाब कार्ड बनाए जा चुके हैं। जिनके जरिए बेरोजगार लोगों को 100 दिन का रोजगार प्रदान किया जाएगा।
वेतन जाब कार्ड वाले लोगों के खाते में आएगा:
रोजगार प्राप्त होने पर काम करने वाले लोगों का वेतन जाब कार्ड वाले लोगों के खाते में सीधे आ जाता है। इस योजना में लोगों को नौकरी देने के लिए 2,561 अलग अलग पदों पर संविदा के आधार पर लोगों को भर्ती किया जा रहा है। और इसके लिए सभी निकायों में जुड़े कर्मचारियों और आनलाइन काम करने वाले कर्मचारियों को भी ट्रेनिंग दी गई है। योजना में श्रम और सामाग्री का अनुपात निकाय स्तर पर 75 : 25 में निर्धारित किया गया है।
मदद मिलेगी शहरी इलाकों के बेरोजगारों को:
यह योजना पहले केवल ग्रामीण इलाकों में चलाई जा रही थी। लेकिन अब इस योजना को शहरी इलाकों में रहने वाले लोगों के लिए भी संचालित किया गया है। शहरी इलाकों के लोगों को उनके निवास के आस पास ही रोजगार प्रदान किया जाएगा। ताकि उन्हें असुविधा न हो। साथ ही शहरी परिवारों को आर्थिक रूप से सहायता मिल सके। यह योजना शहरी इलाकों के बेरोजगार लोगों को रोजगार देने में बहुत लाभदायक सिद्ध होगी। इसके अतिरिक्त इस योजना के जरिए लोगों की जीवन शैली में भी सुधार आएगा।
18 से 60 की आयु के अकुशल मजदूरों को मिलेगा काम:
सरकार के अनुसार इस योजना के माध्यम से ज्यादा से ज्यादा लोगों को रोजगार देना ही मुख्य उद्देश्य है। जिसमें सामान्य प्रकृति के कार्य अकुशल मजदूर करेंगे। इस योजना में 18 से 60 साल तक के उम्र वाले लोगों और शहरी निकाय सीमा के अंदर रहने वाले लोगों को ही रोजगार प्राप्ति के योग्य माना जाएगा। इसके अलावा जो लोग महामारी या आपदा से पीड़ित हैं और प्रवासी मजदूर जो विपरीत परिस्थितियों में हैं। उन लोगों को भी इस योजना में शामिल किया जाएगा।