उद्देश्य:
- असाक्षर बंदियों को पढने-लिखने, सीखने का अवसर देना ।
- अच्छा जीवन जीने के लिए प्रोत्साहित करना ।
- समय का सदुपयोग सीखना ।
- आगे की पढाई जारी रखने के लिए प्रेरित करना ।
- परिवार तथा समाज के प्रति दायित्व बोध कराना ।
पात्रता:
- 15 वर्ष या उससे ऊपर के कैदियों के लिए ।
लाभ:
- शिक्षित बंदियों में से स्वयंसेवक (साक्षरता शिक्षक) चयनित किए जाएंगे ।
- अन्य पढ़न-पाठन सामग्री बाजार से क्रय की जाएगी ।
- 6 महीने के बाद कैदियों का मूल्यांकन किया जाएगा ।
नोडल एजेंसी:
- जन शिक्षा निदेशालय , तथा बिहार कारा प्रशासन।
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