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मनरेगा: मनरेगा योजना से रोजगार की मिलेगी गारंटी, जानिए क्या है मनरेगा योजना-

महात्मा गांधी नेशनल रूरल एम्प्लॉयमेंट गारंटी योजना देश भर के ग्रामीण परिवारों को हर वित्तीय वर्ष में 100 दिनों का वेतन आधारित रोजगार प्रदान करती है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा पेश किए गए केंद्रीय बजट में महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा) के लिए बजटीय आवंटन में 14 % की कटौती की है। इसे 2023-24 के लिए घटाकर अब 61,032.65 करोड़ रुपए कर दिया गया है। इस योजना के बजटीय आवंटन में दूसरी सीधी कटौती है। 2022-23 के बजट में भी मनरेगा के बजटीय आवंटन में 98,000 करोड़ रुपए के संशोधित अनुमान से 25 % की कटौती कर 73,000 करोड़ रुपए कर दिया गया था।

क्या है मनरेगा

महात्मा गांधी नेशनल रूरल एम्प्लॉयमेंट गारंटी योजना के तहत हर परिवार को कम से कम 100 दिन के रोजगार के वेतन की गारंटी मिलती है। वित्त वर्ष 2024 में सरकार ने मनरेगा के तहत जारी किए जाने वाले फंड में बड़ी कटौती करते हुए इसे घटाकर 60,000 करोड़ कर दिया था, हालांकि इसके साथ ही यह ऐलान भी किया था कि जरूरत पड़ने पर सरकार और फंड का प्रावधान भी करेगी। महात्मा गांधी ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना के तहत देश के ग्रामीण इलाके में रोजगार को बढ़ावा देने के लिए केंद्र सरकार ने 10000 करोड़ रुपए की एडवांस राशि प्रदान की है। यह फंड 60000 करोड़ रुपए के बजट आवंटन के अतिरिक्त जारी की गई है।

मनरेगा मांग आधारित योजना 

मनरेगा एक मांग आधारित योजना है। रोजगार की मांग करने वाले किसी भी परिवार को योजना के अनुसार एक वित्तीय वर्ष में कम से कम 100 दिनों का शारीरिक श्रम प्रदान किया जाता है। योजना के अंतर्गत आवेदन करने के बाद पंद्रह दिनों के अंदर रोजगार प्रदान नहीं होता है तो आवेदक दैनिक बेरोजगारी भत्ता का हकदार होता है। राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को निधि जारी करने की प्रक्रिया है लगातार चलती रहती है।

महिला श्रम बल भागीदारी में भी हुई बढ़ोतरी

मनरेगा को 2005 में संसदीय अधिनियम के माध्यम से पेश किया गया था, और महिलाओं के लिए एक तिहाई ग्रामीण नौकरियों को निर्धारित किया गया था। वर्षों से, लाखों ग्रामीण परिवारों ने इसके माध्यम से रोजगार प्राप्त किया है। कोरोना काल के दौरान भी लाखों प्रवासी श्रमिकों को इसके तहत काम मिला था, जब वह अपने मूल स्थानों पर लौटने के लिए मजबूर हुए थे। सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय द्वारा 9 अक्टूबर 2023 को जारी रिपोर्ट दर्शाती है कि देश में महिला श्रम बल भागीदारी में उलेखनीय सुधार हुआ है, और यह दर 2023 में बढ़कर 37% हो गई जो 2021-22 में 32.8% थी।

बीते साल की निधि का अगले साल पर प्रभाव

राज्यों को जारी की गई वास्तविक निधि, बजट की राशि से बहुत ज्यादा रही है। यहां तक कि चालू वित्त वर्ष 2022-23 में भी बजट अनुमान 73,000 करोड़ रुपए है, जिसे संशोधित कर 89,400 करोड़ रुपए कर दिया गया है।  पिछले साल जारी की गई निधियों का अगले साल के लिए निधियों की जरूरत पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता है।

निष्कर्ष –  मनरेगा ( महात्मा गांधी नेशनल रूरल एम्प्लॉयमेंट गारंटी योजना)

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