मोदी सरकार ने 19 सितंबर 2023 को नए संसद भवन में पहला विधेयक महिला आरक्षण बिल पेश कर दिया। 20 सितंबर 2023 को वोटिंग के जरिये बिल को लोकसभा ने पारित कर दिया। क्या अब 2024 में होने वाले लोकसभा चुनावों में 181 संसदीय क्षेत्र महिला प्रत्याशियों के लिए आरक्षित कर दिए जाएंगे?
क्या है महिला आरक्षण बिल?
महिला आरक्षण बिल के अनुसार देश की संसद और राज्य की विधानसभाओं में महिलाओं को 33% आरक्षण दिया जाना चाहिए। विधेयक में 33% कोटा के भीतर एससी, एसटी और एंग्लो-इंडियन के लिए उप-आरक्षण का प्रस्ताव है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पुराने संसद भवन में अपने अंतिम भाषण में कहा था कि संसद के दोनों सदनों में अब तक 7,500 से ज्यादा जन प्रतिनिधियों ने अपनी सेवाएं दी हैं। लेकिन, इनमें महिला प्रतिनिधियों की संख्या महज 600 रही है। महिलाओं के योगदान ने हमेशा से सदन की गरिमा बढ़ाने में मदद की है। तभी मोदी सरकार संसद में महिलाओं को 33% हिस्सेदारी दिलाने वाला महिला आरक्षण विधेयक जल्द पेश कर सकती है।
महिला आरक्षण बिल का इतिहास
कई दलों ने इसी मुद्दे पर महिला आरक्षण बिल का विरोध किया था। महिला आरक्षण का यह बीज पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने बोया था। राजीव गांधी ने मई 1989 में ग्रामीण और शहरी स्थानीय निकायों में महिलाओं के लिए एक तिहाई आरक्षण के लिए संविधान संशोधन विधेयक पेश किया था। विधेयक लोकसभा में पारित हो गया था, लेकिन सितंबर 1989 में राज्यसभा में पारित होने में विफल रहा।
12 सितंबर 1996 को तत्कालीन देवेगौड़ा सरकार ने पहली बार संसद में महिलाओं के आरक्षण के लिए 81वां संविधान संशोधन विधेयक लोकसभा में पेश किया था। विधेयक को लोकसभा में मंजूरी नहीं मिलने के बाद इसे गीता मुखर्जी की अध्यक्षता वाली संयुक्त संसदीय समिति के पास भेजा गया। मुखर्जी समिति ने दिसंबर 1996 में अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत की। हालांकि, लोकसभा भंग होने के साथ विधेयक समाप्त हो गया।
दो साल बाद अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार ने 1998 में 12वीं लोकसभा में महिला आरक्षण विधेयक को आगे बढ़ाया। हालांकि, इस बार भी विधेयक को समर्थन नहीं मिला और यह फिर से निरस्त हो गया। बाद में इसे 1999, 2002 और 2003 में वाजपेयी सरकार के तहत फिर से पेश किया गया, लेकिन कोई सफलता नहीं मिली। पांच साल बाद, मनमोहन सिंह के नेतृत्व वाली यूपीए सरकार-1 ने 6 मई 2008 को इसे राज्यसभा में पेश किया। 9 मार्च 2010 को विधेयक राज्यसभा में पारित हो गया। विधेयक को लोकसभा में कभी विचार के लिए नहीं लाया गया और अंततः 2014 में लोकसभा भंग होने के कारण यह विधेयक खत्म हो गया था।
महिला आरक्षण बिल के प्रस्ताव
महिला आरक्षण बिल में संसद और राज्यों की विधानसभाओं में महिलाओं के लिए 33% आरक्षण का प्रस्ताव रखा गया था। इसके अलावा यह भी प्रस्ताव रखा गया था कि हर लोकसभा चुनाव के बाद आरक्षित सीटों को रोटेट किया जाना चाहिए। आरक्षित सीटें राज्य या केंद्रशासित प्रदेशों के अलग-अलग निर्वाचन क्षेत्रों में रोटेशन के जरिये आवंटित की जा सकती हैं। मौजूदा समय में पंचायतों और नगर पालिकाओं में 15 लाख से ज्यादा चुनी हुई महिला प्रतिनिधि हैं, जो 40% के आसपास होता हैै। वहीं, लोकसभा और राज्यों की विधानसभाओं में महिलाओं की उपस्थिति काफी कम हैै।
कब लागू होगा महिला आरक्षण बिल?
महिला आरक्षण बिल में हुए ये संशोधन
महिला संरक्षण बिल में संशोधन किया गया हैै। बिल जो संशोधन किए गए हैं, उसके चार महत्वपूर्ण क्लॉज हैं।
- पहले क्लॉज में संविधान का आर्टिकल 239 है, जिसमें 239AA जोड़़ा जा रहा है। इससे दिल्ली विधानसभा में महिलाओं के लिए 33% आरक्षण सुनिश्चित होगा।
- दूसरे क्लॉज में संविधान के 330 आर्टिकल में सेक्शन 33A जोड़ा जा रहा हैै। जिसके तहत महिलाओं के लिए लोकसभा में 33 % आरक्षण होगा।
- तीसरे क्लॉज के मुताबिक, संविधान के आर्टिकल 332 के बाद एक नया आर्टिकल 33A जोड़ा जा रहा है, उसके मुताबिक, महिलाओं के लिए राज्य विधानसभा में 33% सीटों का प्रावधान होगा।
- चौथे क्लॉज में संविधान के आर्टिकल 334 के बाद एक नया आर्टिकल 33A जोड़ा जा रहा है, जिसके मुताबिक, महिलाओं के लिए ये आरक्षण 15 सालों के लिए प्रभावी रहेगा। 15 सालों के बाद यदि इसे बढ़ाना है तो ये संसद ही तय करेगी।
निष्कर्ष – महिला आरक्षण बिल
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