पाकिस्तान की खराब हालत
कर्ज के जाल फंस चुके पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था पूरी तरह से बदहाल है। सरकारी खजाना खाली हो चुका है। पाकिस्तानी अखबारों के मुताबिक, पाकिस्तान का विदेशी मुद्रा भंडार 3 अरब डॉलर से भी कम रह गया है।यह राशि 15 दिनों के आयात के लिए ही पर्याप्त है।
आर्थिक संकट का कारण
वर्तमान आर्थिक संकट को मुख्य रूप से पाकिस्तान के अदूरदर्शी नीतिगत निर्णय के लिए जिम्मेदार ठहराया जाता है, जिससे गैर-विकासात्मक और आर्थिक रूप से अव्यवहार्य परियोजनाओं पर व्यापक खर्च होता है। ग्वाडर-काशगर रेलवे लाइन परियोजना जैसी निरर्थक अवसंरचना परियोजनाओं के आर्थिक कुप्रबंधन और वित्तपोषण को दीर्घावधि ऋण साधनों के माध्यम से और घरेलू संस्थानों के बजाय बाहरी उधार पर बड़े पैमाने पर निर्भर रहने से इसकी परेशानियां बढ़ गई हैं।
क्यों नहीं मिल रही पाक को मदद?
सऊदी अरब, संयुक्त अरब अमीरात और चीन जैसे मित्र देश भी पाकिस्तान की आर्थिक स्थिति से वाकिफ होने के बाद भी मदद को आगे नहीं आ रहे हैं। अगर पाक को ऐसे समय में अन्य देशों का साथ नहीं मिला तो स्थिति और ज्यादा खराब हो जाएगी।
अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष इसका सबसे बड़ा कारण है। गृह मंत्री राणा सनाउल्लाह ने खुले तौर पर कहा था कि मित्र देशों ने हमसे कहा है कि पहले आईएमएफ से अपना मसला सुलझाओ और उसके बाद हमारे पास आओ। ऐसे में पाक के लिए जरूरी है कि पहले वह आईएमएफ से अपना मामला सुलझाए।
पाकिस्तान पर इतना कर्ज है कि अब दूसरे देशों को उस पर विश्वास करने में मुश्किल हो रही है। मित्र देश इस बात से भी डरे हुए हैं कि पाकिस्तान के ऊपर पहले से ही अरबों का कर्ज है। ऐसे में उनका पैसा वापस मिलना मुश्किल हो जाएगा पाकिस्तान का कर्ज चुकाने का रिकॉर्ड बेहद खराब है।
चीन ने क्यों मना कर दिया मदद के लिए?
भारत ने निभाए पड़ोसी का धर्म
आरएसएस के सह सरकार्यवाह डॉ. कृष्ण गोपाल ने कहा, भारत सरकार को पड़ोसी होने का धर्म निभाना चाहिए। डॉ कृष्ण गोपाल ने कहा कि यद्दपि पाकिस्तान हमसे लड़ता झगड़ता रहता है। फिर भी हम चाहते हैं कि वो सुखी रहें। हम मदद भेज सकते हैं। मगर वो मांगता ही नहीं है। लेकिन हमें इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि आज से 70 साल पहले हम एक ही थे।
विदेश मंत्री एस जयंशकर ने पिछले दिनों में पाकिस्तान में जारी आर्थिक संकट पर भारत की स्थिति स्पष्ट कर दी थी। उन्होंने इस संकट के लिए वहां के हुक्मरानों को ही जिम्मेदार ठहराया। उन्होंने कहा कि अगर आप आतंक का उद्योग चलाएंगे तो इस तरह की बड़ी दिक्कतें तो आएंगी ही। जयशंकर ने आगे कहा कि पाकिस्तान को मदद देने को लेकर जब भी कोई बड़ा फैसला लिया जाएगा, इस दौरान स्थानीय जनभावना का जरूर ख्याल रखा जाएगा।