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राजद्रोह कानून: राजद्रोह कानून होगा खत्म, जानिए IPC, CRPC और साक्ष्य अधिनियम में कौन से होंगे बड़े बदलाव, इससे क्या पड़ेगा असर-

 
केंद्रीय सरकार ने संसद के मानसून सत्र के आखिरी दिन संसद में तीन नए बिल पेश किए। इन बिलों का मकसद अंग्रेजों के जमाने में बनाए गए आपराधिक कानून में बदलाव करना है। राजद्रोह कानून खत्म किया जाएगा और मॉब लिंचिंग मामले में मौत की सजा दी जाएगी। रेप की शिकार लड़की या महिला की पहचान को गुप्त रखने के लिए नया कानून बनाया गया है। इसका उल्लंघन करने पर कार्रवाई की जाएगी।
फिलहाल, इन तीनों नए बिलों को समीक्षा के लिए स्थायी समिति के पास भेज दिया गया है। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के मुताबिक सरकार का लक्ष्य न्याय सुनिश्चित करना है, सजा देना नहीं। इसी उद्देश्य से तीन विधेयक पेश किए जा रहे हैं। नए कानून बनने से 533 धाराएं खत्म होंगी। 133 नई धारा शामिल की गई हैं। जबकि 9 धारा को बदल दिया गया है।

इन कानूनों में होगा संशोधन

केंद्र सरकार अंग्रेजों के जमाने के कुछ कानूनों में संशोधन करने जा रही है। इसके लिए सरकार दंड प्रक्रिया संहिता संशोधन विधेयक 2023 लाएगी। इन तीन विधेयक में एक इंडियन पीनल कोड 1860 की जगह, अब ‘भारतीय न्याय संहिता 2023’ होगा। दूसरा क्रिमिनल प्रोसीजर कोड की जगह ‘भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023’ प्रस्थापित होगा। और तीसरा इंडियन एविडेंट एक्ट, 1872 की जगह ‘भारतीय साक्ष्य अधिनियम’ प्रस्थापित होगा। अब इन तीन नए कानूनों से देश की आपराधिक न्याय व्यवस्था में बड़ा बदलाव आएगा।

नए कानून में भारतीयों को मिलेगा अधिकार

इन तीनों कानूनों को रिप्लेस कर के इनकी जगह तीन नए कानून जो बनेंगे, उनमें भारतीयों को अधिकार दिया जाएगा। इन कानूनों का उद्देश्य किसी को दंड देना नहीं होगा। इसका उद्देश्य होगा लोगों को न्याय देना। 18 राज्यों, छह केंद्र शासित प्रदेशों, भारत की सुप्रीम कोर्ट, 22 हाईकोर्ट, न्यायिक संस्थाओं, 142 सासंद और 270 विधायकों के अलावा जनता ने भी इन विधेयकों को लेकर सुझाव दिए हैं। चार साल तक इस पर काफी चर्चा हुई है। इस पर 158 बैठकें की हैं।

आरोपी की अनुपस्थिति में भी सजा

सरकार ने एक बहुत ऐतिहासिक फैसला किया है, वो है आरोपी की अनुपस्थिति में ट्रायल। कई केसों में दाऊद इब्राहिम वांटेड है, वो देश छोड़कर भाग गया। ऐसे में केसों का ट्रायल नहीं चल पा रहा है। अब  सेशन कोर्ट के जज नियमों के मुताबिक, जिसे भगोड़ा घोषित करेंगे, उसकी अनुपस्थिति में ट्रायल होगा और सजा भी सुनाई जाएगी। सरकार ने महिलाओं, बच्चों से जुड़े अपराध के मामलों में बड़े बदलाव किए हैं।

नए नियम के अनुसार सत्र न्यायालय के जज किसी व्यक्ति की अनुपस्थिति में भी उस पर केस चला सकती है और फैसला सुना सकती है, फिर चाहे वह दुनिया के किसी भी कोने में हो। उसे सजा से बचना हो तो भारत आए और केस लड़ें। धार्मिक भड़काऊ भाषण या हेट स्पीच अब अपराध है। इसके तहत तीन से 5 साल की सजा का प्राविधान है। आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में नया कानून बनाया गया है। अब आतंकी को मौत की सजा दी जाएगी।

राजद्रोह कानून खत्म होगा

सरकार द्वारा सदन में पेश किए गए इस बिल से राजद्रोह कानून की धारा 124 (A) को हटा दिया गया है। इसकी जगह अब धारा 150 कर दिया गया है। इस नए कानून के तहत हम राजद्रोह जैसे कानून खत्म किए जाएंगे। इसकी जगह नया कानून आएगा। 1860 से 2023 तक देश की आपराधिक न्याय व्यवस्था अंग्रेजों के बनाए कानून से चल रहा थी। अब इन तीन नए कानूनों से देश की आपराधिक न्याय व्यवस्था में बड़ा बदलाव आएगा। इस विधेयक का लक्ष्य है कि अपराध स्थल पर फोरेंसिक टीम का जाना अनिवार्य होगा। नए विधेयक में भीड़ द्वारा पीट-पीटकर हत्या करने के मामले से संबंधित नए प्रावधान किए गए हैं। नाबालिग से दुष्कर्म जैसे मामलों में मौत की सजा का प्रावधान किया गया है। साथ ही एक तय सीमा में सरकारी कर्मचारी के खिलाफ मुकदमा चलाने की मंजूरी दी जाएगी। इस कानून में भारत की एकता, संप्रभुता और अखंडता का जिक्र है। इसमें सजा तीन साल से बढ़ाकर 7 साल कर दी गई है।

भारतीय दंड संहिता में हुए ये बड़े बदलाव

इस दौरान भारतीय दंड संहिता में कुछ बड़े बदलाव किए गए हैं। जिसका मकसद गुलामी मानसिकता से उबरना था।
  • रेप केस में पहले न्यूनतम सजा सात साल थी, अब इसे तीन साल बढ़ाकर 10 साल कर दी गई है।
  • नाबालिग के साथ रेप के दोषी को न्यूनतम 20 साल की कठोर सजा होगी। अधिकतम सजा उम्र कैद है। जुर्माना भी लगेगा।
  • नाबालिग के साथ यदि एक से अधिक लोग रेप करते हैं तो मौत की सजा दी जाएगी। जुर्माने का भी प्राविधान है।
  • धारा 377 हटा दी गई है। अब पुरुषों को यौन उत्पीड़न से बचने का कोई नियम नहीं बचा है। मतलब पुरुषों के खिलाफ किसी ने आप्रकृतिक यौन अपराध का आरोप लगाया तो कोई सजा का प्राविधान नहीं है।
  • बच्चों के खिलाफ अपराधों के लिए नया अध्याय लिखा गया है। इसमें परित्याग, बाल तस्करी आदि शामिल हैं।
  • यदि किसी की मौत के मामले में किसी की लापरवाही उजागर होती है तो ऐसे केस में सजा को सात साल कर दिया गया है। पहले दो साल की सजा का प्राविधान था।
  • संगठित अपराध के लिए नया कानून बनाया गया है। संगठित अपराध में यदि किसी की मौत होती है तो मृत्युदंड मिलेगा।
  • मॉब लिंचिंग, इस अपराध को अब हत्या की परिभाषा में जोड़ दिया गया है। 5 या 5 से अधिक लोगों का एक समूह जब नस्ल, जाति, समुदाय या अन्य किसी आधार पर हत्या करता है तो मौत की सजा दी जाएगी। इसमें न्यूनतम सजा 7 साल की है। जुर्माना भी लगेगा।
  • कोई शादी के झूठे वादे कर महिला के साथ यौन संबंध बनाता है तो इसे रेप माना जाएगा। 10 साल के लिए जेल और जुर्माना लग सकता है।

CrPC में क्या हुआ बदलाव

CrPC में बदलाव कर जो भारतीय नागरिक संहिता, 2023 बनेगी, उसमें अब 533 धाराएं बचेंगी, 160 धाराओं को बदल दिया गया है। बिल में 9 नई धाराएं जोड़ी गई हैं और 9 धाराओं को खत्म किया गया है।

IPC में क्या हुआ बदलाव

गृहमंत्री ने IPC में जो बदलाव किए हैं वो IPC में पहले 511 धाराएं थीं। अब भारतीय न्याय संहिता, 2023 में सिर्फ 356 धाराएं होंगी। 175 धाराओं में बदलाव हुआ है, 8 नई धाराएं जोड़ी गई हैं और 22 धाराओं को खत्म कर दिया गया है।

भारतीय साक्ष्य विधेयक में क्या हुआ बदलाव

भारतीय साक्ष्य विधेयक में 167 धाराएं थी। लेकिन, अब भारतीय साक्ष्य विधेयक, 2023 में 170 धाराएं होंगी। इसके लिए 23 धाराओं में बदलाव किया गया। एक नई धारा जोड़ी गई है और 5 धाराएं निरस्त की गई हैं।

शारंश – राजद्रोह कानून खत्म होगा

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