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नरवा गरुवा घुरवा बाड़ी: ग्रामीणों के लिए वरदान साबित हुई छत्तीसगढ़ की यह योजना-

छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल आम जनता के लिए अत्यधिक संवेदन शील हैं।इसलिए वे हमेशा छत्तीसगढ़ की संस्कृति, विरासत को सहेजने ,संवारने में जुटे रहते हैं। उनका यह सपना है कि राज्य के गांव आत्मनिर्भर बने। जल संरक्षण, पशु संवर्धन, मृदा स्वास्थ्य और पोषण प्रबंधन को सफल बनाने के लिए सुराजी गांव योजना 2 अक्टूबर 2019 से शुरू की गई थी।

ग्रामीण अर्थव्यवस्था को संकट में देखते हुए छत्तीसगढ़ सरकार ने नरवा, गरुवा, घुरवा, बाड़ी नाम की योजना की शुरूआत की है।ज्यादा से ज्यादा लोगों को इस योजना से लाभ प्राप्त हो, इसके लिए मुख्यमंत्री खुद इस योजना का संचालन कर रहे हैं। वर्तमान में प्रथम चरण में यह योजना राज्य के 15 प्रतिशत ग्राम पंचायतों में लागू की जा रही है।

नरवा, गरुवा, घुरवा बाड़ी योजना क्या है?

मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने प्रदेश की सत्ता संभालते ही नारा दिया- छत्तीसगढ़ के चार चिन्हारी,  नरवा गरुवा घुरवा अउ बाड़ी, एला बचाना हे संगवारी।

राज्य सरकार का मानना है कि इस योजना के माध्यम से भूजल रिचार्ज, सिंचाई और आर्गेनिक खेती में मदद मिलेगी, किसानों को दोहरी फसल लेने में आसानी होगी, पशुओं की उचित देखभाल हो सकेगी, परंपरागत किचन गार्डन एवं ग्रामीण अर्थव्यवस्था में मजबूती आएगी तथा पोषण स्तर में सुधार आएगा।

नरवा क्या है?

इसके तहत नालों में एवं नहरों में चेक डेम का निर्माण किया जाएगा। ताकि बारिश के पानी का संरक्षण हो सके और वाटर रिचार्ज से गिरते भू-स्तर पर रोक लग सके। इससे खेती में आसानी होगी।

गरुवा क्या है?

इसके तहत गांवों के पशुओं के लिए एक ऐसा डे-केयर सेंटर उपलब्ध करवाना है जिसमें वे आसानी से रह सकें और उन्हें चारा, पानी उपलब्ध हो। इसके लिए गोठान निर्माण को लेकर आवश्यक संसाधन, जमीन आदि प्रदान किए जा रहे हैं।गौठान में चरवाहों की नियुक्ति के साथ-साथ  सहायता के लिए महिला समूहों को भी जोड़ा गया है।

घुरवा क्या है?

यह एक गढ्डा होता है, जिसमें मवेशियों के गोबर एवं मलमूत्र का संग्रहण किया जाता है। जिससे कि गोबर गैस एवं खाद बनाई जा सके।

बाड़ी क्या है?

यह घर से लगा एक बगीचा है, जिसमें पोषण हेतु फल-फूल तथा सब्जियां उगाई जा सके।बाड़ी लगाने के लिए मनरेगा से सहायता दी जा रही है।

नरवा, गरुवा, घुरवा, बाड़ी योजना के लाभ

इस योजना के लाभ इस प्रकार हैं।
  • गांव में बनने वाले गौठान में ग्रमीणों के पालतू पशुओं के साथ साथ आवारा पशुओं को भी लाया जाएगा। दिन के समय अधिकांश पशु गौठानों में ही रहेंगें, जिससे पशुओं के द्धारा खेतों में फसल चरने की समस्‍या से किसानों को छुटकारा मिल जाएगा।
  • जिन गांवों में इस योजना का संचालन होगा, उन गांवों में दूध का उत्‍पादन बढ़ जाएगा। जिससे गांव में समृद्धि आएगी।
  • गौठानों में अधिक मात्रा में कम्‍पोस्‍ट खाद का निर्मांण होगा। जिससे प्राकृतिक खाद की उपलब्‍धता बढ़ेगी त‍था भूमि की उर्वरक क्षमता में भी बढ़ोत्‍तरी हो सकेगी।
  • इस योजना के तहत बनने वाली कम्‍पोस्‍ट तथा वर्मी कम्‍पोस्‍ट खाद को गांव के ही किसानों को कुछ मूल्‍य अदा करने के बाद उपलब्‍ध कराया जाएगा।
  • गौठानों में फल दार वृक्ष लगाये जाने से ग्रामीण बाजार मे फलों की उपलब्‍धता पर्याप्‍त मात्रा में रहेगी।
  • प्रत्‍येक गांव में इस योजना के तहत 10-20 लोगों को रोजगार दिया जाएगा। उन्‍हें पेड़ लगाने तथा उनकों सरंक्षित रखने के बदले कुछ पैसा सरकार की ओर से दिया जाएगा। जिससे ग्रामीणों की आर्थिक स्थिति में भी सुधार होगा।

 योजना की आवश्यकता 

गिरता हुआ भू-जल स्तर, खेती में लागत की बढ़ोत्तरी, मवेशी के लिए चारा संकट, महंगाई आदि ने राज्य की स्थिति को और भयावह बना दिया। छत्तीसगढ़ की 85 प्रतिशत आबादी गांव में रहती है, खेती बर्बाद होने पर अधिकांश लोग किसान से खेतीहर मजदूर बन जाते हैं।

इस योजना से एक गांव में 10-15 परिवारों को आसानी से काम मिल जाएगा। पेड़ लगाने एवं संरक्षित रखने पर एक निश्चित रकम का भुगतान किया जाता है, इससे भी रोजगार मिलेगा।

योजना की मुख्य विशेषताएं

इस योजना की मुख्य विशेषताएं इस प्रकार हैं।

  • इस योजना का संचालन पूरे छत्‍तीसगढ़ के सभी जिलों की ग्राम पंचायतों में चरणबद्ध तरीके से होगा।
  • गौठान के अतिरिक्‍त चारागाहों के लिये गौठान के नजदीक ही 5 से 10 एकड़ भूमि आ‍रक्षित कर ली जाएगी।
  • आवारा पशुओं को भी रहने का स्थान मिल सकेगा।गौठानों में रखे जाने से पशुओं को आश्रय मिलेगा तथा भोजन पानी भी पर्याप्‍त मात्रा में मिलता रहेगा।
  • प्रत्‍येक गांव में पशु धन का बेसलाइन सर्वे किया जाएगा।सर्वे के बाद प्रति 100 पशु धन के लिये 1 एकड़ जमीन चिन्हित करके उस पर गौठान का निर्मांण कराया जाएगा।
  • गौठान के अंदर ही घरवा बनाया जाएगा ताकि वहां उच्‍चकोटि की खाद का निर्मांण होता रहे।
  • गौठानों में वर्मी कम्‍पोस्‍ट खाद के उत्‍पादन के लिये वर्मी किट प्रदान की जाएगी। जिसके जरिये वहां वर्मी कम्‍पोस्‍ट खाद बनाई जा सकेगी।
  • राज्‍य के सभी गौठानों की देखरेख का जिम्‍मा ग्राम गौठान समिति करेगी।योजना के तहत बनने वाले गौठानों के चारों और बांस बल्लियों की सहायता से बाड़ बनाई जाएगी।
  • गौठान के अंदर फलदार, छाया दार तथा ऐसे पत्‍तीदार पेड़ भी लगाये जाएंगें, जिन्‍हें पशु चाव से खाते हों।गौठानों के नजदीक चारागाह विकसित किये जाएंगें, ताकि पशुओं को हरा चारा पर्याप्‍त मात्रा में मिलता रहे।
  • इस योजना के तहत गौठानों में गोबर गैस प्‍लांट भी लगाये जाएंगें ताकि इन प्‍लांटों में बनने वाली गैस को सामुदायिक गैस इकाई से जोड़ा जा सके।
  • प्रत्‍येक गौठान में कृत्रिम गर्भाधान, बधिया करण तथा टीका करण आदि की सुविधायें भी पशुओं के लिये उपलब्‍ध होंगी।

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