पुरानी पेंशन योजना को दिसंबर 2003 में पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी सरकार ने खत्म कर दिया था। इसके बाद 1 अप्रैल 2004 से नेशनल पेंशन योजना शुरू की गई थी। जिसे नई पेंशन योजना भी कहते हैं। पुरानी पेंशन योजना में कर्मचारियों के आखिरी वेतन का 50% पेंशन होती थी। इसकी पूरी राशि का भुगतान सरकार करती थी। पर यह पेंशन योजना उन कर्मचारियों के लिए है, जो 1 अप्रैल 2004 के बाद सरकारी नौकरी में ज्वाइन हुए हैं। इस योजना में कर्मचारी अपनी सैलरी से 10% हिस्सा पेंशन के लिए योगदान करते हैं। इसके अलावा राज्य सरकार 14% योगदान देती है। पेंशन का पूरा पैसा पेंशन रेगुलेटर PFRDA के पास जमा होता है, जो इसे निवेश करता है।
नई पेंशन योजना
साल 2004 में केंद्र सरकार ने नेशनल पेंशन योजना की शुरूआत की थी। यह यह योजना सरकारी कर्मचारियों को निवेश की मंजूरी देती है। इसके तहत वो अपने पूरे करियर में पेंशन खाते में नियमित तौर पर योगदान करके अपने पैसे का निवेश कर सकते हैं। रिटायरमेंट के बाद पेंशन राशि का एक हिस्सा एकमुश्त निकालने की छूट भी है। बाकी रकम के लिए एन्युटी प्लान खरीद सकते हैं। एन्युटी एक तरह का इंश्योरेंस प्रोडक्ट है। इसमें एकमुश्त निवेश करना होता है। इसे मासिक, छमाही या सालाना विड्रॉल कर सकते हैं। रिटायर्ड कर्मचारी की मृत्यु तक उसे नियमित आमदनी मिलती है। वहीं, मृत्यु के बाद पूरा पैसा नॉमिनी को मिल जाता है।
नई एवं पुरानी पेंशन योजना के लाभ
राज्य स्तर पर पुरानी पेंशन योजना को लेकर आंदोलन चल रहे हैं। ऐसा दावा किया जाता है कि नई पेंशन योजना में पुरानी पेंशन योजना के मुकाबले कर्मचारियों को बहुत कम लाभ मिलते हैं। इससे उनका भविष्य सुरक्षित नहीं है। सेवानिवृत्त होने के बाद जो पैसा मिलेगा, उस पर टैक्स चुकाना होता है। पुरानी पेंशन योजना में पेंशन के लिए वेतन से कोई कटौती नहीं होती है, जबकि नई में वेतन से 10% की कटौती होती है। पुरानी पेंशन योजना में GPF की सुविधा है, जबकि नई में यह सुविधा नहीं है।
नई वाली योजना शेयर बाजार पर आधारित है यानि शेयर मार्केट के बढ़त और घाटे के आधार पर भुगतान किया जाता हैै। और पुरानी पेंशन योजना एक सुरक्षित पेंशन योजना है यानी इसका भुगतान सरकार द्वारा ट्रेजरी के माध्यम से होता है,। नई में रिटायरमेंट के समय निश्चित पेंशन की कोई गारंटी नहीं है। जबकि पुरानी पेंशन योजना में रिटायरमेंट के समय निश्चित पेंशन, जो अंतिम मूल वेतन का 50% होता है, वह मिलता है।
पुरानी पेंशन योजना और नई में अंतर
दोनों में सबसे बड़ा अंतर यह है कि पुरानी पेंशन योजना एक सुरक्षित योजना है, जिसका भुगतान सरकारी खजाने से किया जाता है। नई शेयर बाजार पर आधारित है। जबकि पुरानी पेंशन योजना में ऐसा कोई प्रावधान नहीं था। अगर बाजार में मंदी रही तो नई पेंशन योजना पर मिलने वाला रिटर्न कम भी हो सकता है। जानिए दोनों पेंशन योजना में अंतर क्या हैं।
- ओल्ड पेंशन योजना में 6 महीने के बाद मिलने वाला महंगाई भत्ता लागू होता है, जबकि नई में 6 महीने के बाद मिलने वाला महंगाई भत्ता लागू नहीं होता है।
- ओल्ड पेंशन योजना में रिटायरमेंट के बाद 20 लाख रुपये तक ग्रेच्युटी मिलती है, जबकि नई पेंशन योजना में रिटायरमेंट के समय ग्रेच्युटी का अस्थायी प्रावधान है। साथ ही पुरानी पेंशन योजना में सेवा के दौरान मौत होने पर फैमिली पेंशन का प्रावधान है, जबकि नई योजना के तहत जमा पैसे को सरकार जब्त कर लेती है।
- इस पुरानी पेंशन योजना में रिटायरमेंट पर GPF के ब्याज पर किसी प्रकार का इनकम टैक्स नहीं लगता है, जबकि नई में रिटायरमेंट पर शेयर बाजार के आधार पर जो पैसा मिलेगा, उस पर टैक्स देना पड़ेगा।
- इस पुरानी पेंशन योजना में रिटायरमेंट के समय पेंशन प्राप्ति के लिए GPF से किसी प्रकार का इनवेस्ट नहीं करना पड़ता है, जबकि नई पेंशन योजना में रिटायरमेंट के समय पेंशन प्राप्ति के लिए नई पेंशन योजना फंड से 40% पैसा इन्वेस्ट करना पड़ता है।
- सरकार की पुरानी पेंशन योजना में 40% पेंशन कम्यूटेशन का प्रावधान है, जबकि नई योजना में यह प्रावधान नहीं हैै।
- सरकार की पुुरानी पेंशन योजना में रिटायरमेंट के बाद मेडिकल फैसिलिटी है, लेकिन नई में इसका स्पष्ट प्रावधान नहीं है।
सरकारी खजाने पर बढ़ता है बोझ
केंद्र सरकार ने नई पेंशन योजना के रिव्यू के लिए कमेटी बनाने का ऐलान किया है। देश में लंबे समय से नई और पुरानी पेंशन योजना को लेकर केंद्र सरकार और विपक्ष के बीच खींचतान चल रही है। पुरानी पेंशन योजना सरकार पर भारी बोझ डालती है। यही नहीं, पुरानी पेंशन योजना से सरकारी खजाने पर ज्यादा बोझ बढ़ता है। रिजर्व बैंक ने अपनी एक रिपोर्ट में कहा था कि पुरानी पेंशन योजना को लागू करने से राजकोषीय संसाधनों पर अधिक दबाव पड़ेगा और राज्यों की सेविंग पर नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा।
निष्कर्ष – नई पेंशन योजना
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