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गिग वर्कर्स बिल: राजस्थान में गिग वर्कर्स को कैसे मिलेंगे 5000 रुपए? जानिए क्या है योजना-

राजस्थान सरकार द्वारा एप बेस काम करने वाले गिग वर्कर्स को 5000 रुपए देने की घोषणा की गई है। राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने गि​ग वर्कर्स के कल्याण के लिए अलग से कानून बनाया है। ओला, उबर, स्विगी, जोमैटो समेत इंटरनेट पर आधारित कम्पनियों में काम करने वाले गिग वर्कर्स में डिलीवरी बॉय, कैब ड्राइवर जैसे काम शामिल हैं। गिग वर्कर्स को राजस्थान सरकार के साथ रजिस्ट्रेशन करवाने पर हेलमेट, ड्रेस, शूज जैसे रोजमर्रा के सामान खरीदने के लिए 5000 रुपए की वन टाइम आर्थिक सहायता दी जाएगी।

राजस्थान सरकार ने ऑनलाइन ऑर्डर पर फूड या अन्य प्रोडक्ट घर-घर पहुंचाने वाले गिग वर्कर्स को कानूनी दायरे में लाने के लिए बिल पास किया है। यह देश का पहला ऐसा बिल है, जो गिग वर्कर्स को सामाजिक सुरक्षा की गारंटी देता है। अगर कोई एग्रीगेटर इसके तहत कानून का पालन करने में नाकाम रहता है, तो उसके लिए जुर्माने और दंड का भी प्रावधान है। राज्य सरकार पहले उल्लंघन के लिए 5 लाख रुपये और उसके बाद के उल्लंघन के लिए 50 लाख रुपये तक का जुर्माना लगा सकती है।

जाने गिग वर्कर्स कौन होते हैं?

हर कंंपनी में कुछ न कुछ काम ऐसे होते हैं जो स्थायी कर्मचारी के बजाए गैर स्थायी कर्मचारियों से कराया जा सकता हैै। ऐसे काम के लिए कंपनी कर्मचारियों को काम के आधार पर सेेलरी देेती है। ऐसे ही कर्मचारियों को गिग वर्कर्स कहा जाता है। हालांकि, ऐसे कर्मचारी कंपनी के साथ लंबे समय तक भी जुड़े रहते हैंं। स्वतंत्र रूप से ठेके पर काम करने वाले कर्मचारी, ऑनलाइन प्लेटफॉर्म के लिए काम करने वाले कर्मचारी, ठेका फार्म के कर्मचारी, कॉल पर काम के लिए उपलब्ध कर्मचारी, अस्थायी कर्मचारी गिग वर्कर्स कहलाते हैं।

राजस्थान सरकार ने जो गिग वर्कर्स बिल पास किया है, उसके तहत राजस्थान एक प्लेटफॉर्म बेस्ड गिग वर्कर्स वेलफेयर बोर्ड का गठन करेगा। ये गठन गिग वर्कर्स और एग्रीगेटर्स का रजिस्ट्रेशन सुनिश्चित करेगा। गिग श्रमिक कल्याण बोर्ड के माध्यम से ऐसे श्रमिकों को सामाजिक सुरक्षा दी जाएगी। इस बोर्ड में गिग श्रमिकों के प्रतिनिधि शामिल होंगे। इसके लिए 200 करोड़ का फंड भी स्थापित किया जाएगा। इस बिल का उद्देश्य एक वेलफेयर फीस डिडक्शन सिस्टम बनाना भी है। इसे एग्रीगेटर ऐप के साथ मर्ज किया जाएगा।

गिग वर्कर्स की संख्या

भारत में ऑनलाइन कारोबार बढ़ने के बाद गिग वर्कर्स की संख्या में भी काफी बढ़ोतरी हुई हैै। एक अनुमान के अनुसार देश में इस समय 10 से 12 करोड़ गिग  वर्कर्स काम करते हैं। भारत में अधिकांश गिग वर्कर्स ऑनलाइन फूड प्लेटफॉर्म, ई-कॉमर्स कंपनी और सामान की डिलीवरी जैसे कार्यों से जुड़े हुए हैं।

गिग श्रमिकों को मिलेगा आईडी

यह बिल गिग श्रमिकों को एक खास आईडी देगा जो सभी प्लेटफार्मों पर लागू होगा। यह आईडी गिग श्रमिकों को सभी सामाजिक सुरक्षा योजनाओं तक पहुंचने, शिकायत होने पर सुनवाई करने और बोर्ड में प्रतिनिधित्व के माध्यम से उनके कल्याण हेेतु लिए गए सभी निर्णयों में भाग लेने में सक्षम बनाएगा। एग्रीगेटर्स को इसके लिए एक वेलफेयर फीस भी देनी होगी, जो उनके लेनदेन का 1% होगा।

गिग वर्कर्स को देने के लिए आने वाला फंड

बिल के अनुसार, बोर्ड एक सामाजिक सुरक्षा और कल्याण कोष बनाएगा जिसमें व्यक्तिगत श्रमिकों द्वारा किए गए योगदान, राज्य सरकार की सहायता, अन्य स्रोत और प्रत्येक लेनदेन से एक वेलफेयर सेस शामिल होगा, जिसे एग्रीगेटर को भुगतान करना होगा। वेलफेयर सेस की दर 2% से अधिक नहीं होगी और न ही प्रत्येक लेनदेन के मूल्य के 1% से कम होगी और एग्रीगेटर्स को महीने के पहले 5 दिनों के भीतर राशि जमा करनी होगी। यूनियनों ने फंड में योगदान देने पर आपत्ति जताई और तर्क दिया कि वेतन की उतार-चढ़ाव और अपर्याप्त प्रकृति के कारण इसे केवल एग्रीगेटर कंपनियों और राज्य निधि से प्राप्त किया जाना चाहिए।

गिग श्रमिकों के अधिकार 

मौजूदा श्रम कानूनों के तहत, जिन गिग श्रमिकों को प्लेटफार्मों द्वारा साझेदार नाम दिया गया है, वे कर्मचारी नहीं हैं क्योंकि उनकी रोज़गार की निश्चित अवधि नहीं हैै। गिग वर्कर्स बिल केे तहत  किसी भी व्यक्ति को ऐप-आधारित प्लेटफॉर्म से जुड़ते ही पंजीकृत होने का अधिकार है, चाहे काम की अवधि कुछ भी हो या वे कितनी कंपनियों के लिए काम करते हों। श्रमिक कल्याण बोर्ड से अपेक्षा की जाती है कि वह सामाजिक सुरक्षा के लिए, केवल दुर्घटना बीमा और स्वास्थ्य बीमा, और अन्य लाभों को सूचीबद्ध करते हुए योजनाएं बनाएगा। 

बिल के प्रस्ताव

गिग वर्कर्स बिल में कल्याण बोर्ड का प्रस्ताव है जिसमें राज्य के अधिकारी, गिग वर्कर्स और एग्रीगेटर्स के प्रत्येक पांच प्रतिनिधि और समाज के दो अन्य नागरिक शामिल होंगे। श्रम विभाग के प्रभारी मंत्री बोर्ड के अध्यक्ष होंगे और इसके नामांकित सदस्यों में से कम से कम एक तिहाई महिलाएँ होंगी। यह बिल बोर्ड राज्य में संचालित प्लेटफॉर्म-आधारित गिग श्रमिकों और एग्रीगेटर्स का पंजीकरण सुनिश्चित करेगा और यह भी सुनिश्चित करेगा कि कल्याण शुल्क कटौती विभाग एग्रीगेटर के एप्लिकेशन के कामकाज के साथ जुड़ा हुआ है।

बिल के तहत एग्रीगेटर के कार्य

राजस्थान सरकार द्वारा पास किए गए गिग वर्कर्स बिल के तहत एक एग्रीकेटर के निम्न कार्य होंगे।

  • कल्याण उपकरण समय पर जमा करना।
  • गिग वर्कर्स के डेटाबेस को अपडेट करना।
  • एक महीने के अंदर गिग श्रमिकों की संख्याओं में किसी भी प्रकार से बदलाव होने पर उनके दस्तावेजों को जमा करना।

शारंश – गिग वर्कर्स बिल राजस्थान

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