जानिए डिजिटल डाटा प्रोटेक्शन बिल क्या है?
यह बिल डिजिटल तरीके से लोगों के पर्सनल डाटा को सुरक्षित करने के लिए लाया गया है। इस कानून के लागू हो जाने के बाद लोग अपने डाटा कलेक्शन, स्टोरेज और प्रोसेसिंग के बारे में जानकारी मांग सकेंगे। कंपनियों को भी यह बताना होगा कि वह कौन सा डाटा ले रहे हैं और उस डाटा का कहां पर इस्तेमाल किया जा रहा है। पिछले कुछ सालों में देखा गया कि कई कंपनियां लोगों के पर्सनल डेटा को गलत तरीके से इस्तेमाल कर रही थीं। हमें यह जानकारी ही नहीं होती है कि हमारा डेटा कहां-कहां इस्तेमाल हो रहा है। इसलिए इस बिल को लाया गया है। इस बिल के जरिए इसी तरह के पर्सनल डेटा को प्रोटेक्शन मिलेगी।
इंटरनेट पर किसी भी प्लेटफार्म का इस्तेमाल करते समय आपके द्वारा जो डाटा दिया जाता है उसे ही डिजिटल पर्सनल डाटा कहा जाता है। जैसे कि आपके द्वारा अपने मोबाइल में किसी एप्लीकेशन का इस्तेमाल करने के लिए उसे डाउनलोड किया गया है। तो एप्लीकेशन को ओपन करने के बाद आपको उस पर अलग-अलग प्रकार की परमिशन देने की आवश्यकता होती है। जैसे कि आप कैमरा, गैलरी, कांटेक्ट और जीपीएस जैसी चीजों को एक्सेस करने की परमिशन देते हैं। जिससे उस एप्लीकेशन के पास आपकी संबंधित महत्वपूर्ण जानकारी चली जाती है, जिससे उन्हें यह पता चलता है कि, आपके कांटेक्ट में कौन से लोगों के नंबर सेव है, आपके मोबाइल में कौन से फोटो और वीडियो है। यहां तक कि कंपनी जीपीएस का इस्तेमाल करके आप की एक्टिविटी को भी ट्रैक कर सकती हैं।
डेटा प्रोटेक्शन बोर्ड की होगी स्थापना
हमारे देश में अभी तक ऐसा कोई भी कानून नहीं था, जिसकी वजह से लोगों के पर्सनल डाटा को सुरक्षा प्राप्त होती और देश में इंटरनेट और मोबाइल का इस्तेमाल करने वाले लोगों की संख्या लगातार बढ़ रही है। इसलिए लगातार इस प्रकार के कानून को लॉन्च करने की डिमांड लोगों के द्वारा की जा रही थी और इस प्रकार के कानून को बनाने की आवश्यकता तब और भी ज्यादा हो गई। जब पिछले कुछ समय से लोगों के पर्सनल डाटा का दुरुपयोग ज्यादा होने लगा। और डाटा चोरी होने की बहुत सारी खबरें मीडिया में आने लगी थी।
90 करोड़ भारतीय इंटरनेट से जुड़ गए हैं। और भारत में नेट के माध्यम से छोटे-छोटे गांव तक डिजिटल सुविधा पहुंच गई है। डेटा का गलत इस्तेमाल न हो, इसके लिए कानूनी फ्रेमवर्क तैयार किया गया है। इस पर निगरानी के लिए एक डेटा प्रोटेक्शन बोर्ड की स्थापना भी की जाएगी। बिल के मुताबिक, यदि कोई कंपनी किसी व्यक्ति का पर्सनल डेटा चाहती है, तो उसे उस यूजर को पूर्व में सूचित करना होगा कि वो ऐसा क्यों चाहती है।
डेटा इकट्ठा करने वाली कंपनियों पर ही इसे सुरक्षित बनाए रखने की जिम्मेदारी भी होगी। डाटा तभी तक स्टोर किया जा सकेगा, जब तक जरूरी हो। इसके बाद डेटा डिलीट करना होगा। यह कानून लागू होने के बाद यूजर को अपने पर्सनल डेटा कलेक्शन, स्टोरेज और प्रोसेसिंग के बारे में जानकारी मांगने का अधिकार होगा। कंपनियों को यह बताना होगा कि वे कौन सा डेटा ले रही हैं और डेटा कहां इस्तेमाल किया जाएगा।
कानून तोड़ने पर लगेगा जुर्माना
नए डेटा प्रोटेक्शन बिल 2023 के तहत, यूजर्स के डिजिटल डेटा का दुरुपयोग करने या उसकी सुरक्षा न कर पाने वाली कंपनियों पर 250 करोड़ रुपये तक का जुर्माना लगाया जा सकता है। नियम तोड़ने वाली कंपनी पर कम से कम 250 करोड़ रुपये और ज्यादा से ज्यादा 3 अरब 50 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया जा सकता है।
डिजिटल डाटा प्रोडक्शन बिल का मुख्य उद्देश्य
इसे जारी करने का मुख्य उद्देश्य यूजर्स के डाटा को सुरक्षा प्रदान करना है। ताकि उसका पर्सनल डाटा लीक न हो सके और उसका दुरुपयोग होने से उसे बचाया जा सके। पर्सनल डाटा की सुरक्षा के लिए एक बड़े लेवल का स्ट्रक्चर सेट अप तैयार किया गया है। दोनों ही यानी ऑनलाइन और ऑफ़लाइन डाटा का डिजिटलीकरण किया गया है। इस बिल का उद्देश्य कंपनियों को यूजर्स के डेटा को इकट्ठा करने, स्टोर करने और यूज करने के लिए जिम्मेदार बनाना है। जबकि मोबाइल और इंटरनेट के चलन के बाद से प्राइवेसी की सुरक्षा गंभीर मुद्दा बन गई है।
डिजिटल पर्सनल डाटा प्रोटक्शन बिल की खास बातें
इस बिल के पास होने पर आपको जो लाभ प्राप्त होंगे और इस बिल से संबंधित कुछ खास बातें इस प्रकार हैं।
- इस बिल के आ जाने से यदि कंपनी के द्वारा यूजर के डाटा का इस्तेमाल किया जा रहा है तो कंपनी को लोगों के डाटा को सुरक्षित रखने की जिम्मेदारी होगी।
- अब सभी कंपनियों को अपनी कंपनी में डाटा सिक्योरिटी ऑफिसर को भी नौकरी पर रखना होगा और इसकी इंफॉर्मेशन अपनी आधिकारिक वेबसाइट या फिर अन्य माध्यम से कंपनी को अपने कस्टमर को देनी होगी।
- यदि कोई भी ऐसा मामला आता है जिसमें डाटा का दुरुपयोग हुआ है तो सबसे पहले कंपनी को डाटा प्रोटक्शन बोर्ड और यूजर को इसके बारे में जानकारी देनी होगी।
- कंपनी को तब अभिभावक की परमिशन लेने की आवश्यकता होगी, जब वह किसी बच्चे के डाटा को स्टोर करना चाहती हो।
- ऐसे लोग जो दूसरे कई लोगों के पर्सनल डाटा के साथ काम करते हैं, आवश्यकता होने पर पूछताछ के लिए डाटा प्रोटक्शन बोर्ड उन्हें बुला सकता है।
- यदि किसी कंपनी द्वारा किसी यूज़र के पर्सनल डाटा को लेकर कोई भी धोखाधड़ी हुई है या फिर नियम का उल्लंघन हुआ है तो डाटा प्रोटेक्शन बोर्ड के द्वारा जुर्माना लगाने का निर्णय लिया जाएगा।
- कंपनी इंडिया के अलावा दूसरे देशों में यूजर के डाटा को स्टोर कर नहीं सकती।
- अगर कंडीशन ऐसी है कि किसी कंपनी के द्वारा दो बार से ज्यादा इस बिल का उल्लंघन कर दिया गया है तो डेटा प्रोटेक्शन बोर्ड उस कंपनी को ब्लॉक करने का अधिकार रखेगा।
डिजिटल डाटा प्रोटेक्शन बिल का यूजर्स पर प्रभाव
जब डिजिटल पर्सनल डाटा प्रोटेक्शन बिल का कानून बन जाएगा, तो डाटा के दुरूपयोग होने की समस्याओं से निपटने के लिए एक रूपरेखा और एक लोकपाल प्रणाली बनेगी। साथ ही इसके नियम एवं निर्देश भी लागू होंगे। लेकिन केवल डिजिटल डाटा को कवर किया जाएगा, भौतिक डेटा को नहीं।