राजस्थान के जैसलमेर जिले में इस सरकारी योजना के तहत भोजका गांव में स्थित एक सगरा-भोजका डेट फार्म पर बड़े पैमाने पर खजूर की खेती हो रही है। इस फार्म को खजूर उत्पादन के लिए कुल 5 साल का ठेका दिया गया है। राजस्थान के रेगिस्तान में भी किसान खजूर की खेती करते नजर आएंगे। राज्य के जैसलमेर जिले में भी अब हर साल करीब 400 टन से ज्यादा खजूर का उत्पादन होने लगा है।
राजस्थान के जैसलमर में खजूर की सफलता पूर्वक खेती हो रही है। सिंचाई के लिए फार्म पर बूंद-बूंद सिंचाई पद्धति का इस्तेमाल किया जा रहा है। वहीं जिले में खजूर की खेती का चलन बहुत तेजी से बढ़ रहा है। जैसलमेर के अन्य रेगिस्तानी हिस्सों में खजूर की खेती की अपार संभावनाओं को देखते हुए बड़ी संख्या में खजूर के पौधे तैयार कर किसानों को बांटे जा रहे हैं। इस डेट फार्म में आने वाले सैलानियों के ठहरने व मनोरंजन के अन्य कई साधन भी जुटा कर उन्हें आकर्षित करने का प्रयास किया हैं।
इस सरकारी योजना से जैसलमेर में 400 टन से ज्यादा खजूर का उत्पादन
राज्य सरकार के अथक प्रयासों की बदौलत राजस्थान का रेगिस्तानी इलाका जैसलमेर अब कृषि क्षेत्र में आधुनिक तौर तरीकों को अपनाने लगा है । इस सरकारी योजना के माध्यम से अथक प्रयासों की बदौलत जैसलमेर में 400 टन से ज्यादा खजूर का उत्पादन होने लगा है। इन्डो-इजरायल पद्धति से कृषि विभाग की ओर से सगरा-भोजका फार्म पर शुरू किए गए। खजूर के इस अनुसंधान के सफल होने के बाद अब खजूर सेन्टर ऑफ एक्सीलेंस खजूर इजरायल तकनीकी से विकसित किया गया है।
जनवरी 2009 से खजूर के पौधों का रोपण शुरू किया गया था और अब तक करीब 15900 पौधे रोपित हो चुके हैं, जिसमें से सालाना टनो बंद खजूर का उत्पादन हो रहा है। जिनकी गुणवत्ता एवं स्वाद बहुत अच्छा है। हालांकि खजूर पेड़ की जड़े नमी में होने चाहिए तथा तना गर्मी व शुष्क वातावरण में होना चाहिए। इस सीजन में जैसलमेर में जबरदस्त बरसात होने से उत्पादन होने वाले फलों को काफी नुकसान पहुंचा है। वर्तमान में रेगिस्तानी जिले जैसलमेर की धरती का यह खजूर देश-दुनिया तक अपनी मिठास पहुंचाकर प्रदेश को गौरव प्रदान कर रही हैं व आज पूरे जैसलमेर जिले में खजूर की खेती का प्रचलन बढ़ा हुआ देखा जा रहा है।
बूंद-बूंद सिंचाई पद्धति का इस्तेमाल
हॉर्टिकल्चर व उद्यान विभाग के मुताबिक यहां के सगरा-भोजका में जैसलमेर- जोधपुर राष्ट्रीय राजमार्ग पर 104 हैक्टयर में प्रायोगिक टिश्यू कल्चर खजूर फार्म की स्थापना की गई थी। कुल 97.5 हैक्टयर में खजूर के करीब 15900 पौधे लगाये गए हैं। इनमें 900 मेल हैं व 15000 फीमेल पौधे हैं। मेल पौधों से निकलने वाले परागकणों को फरवरी-मार्च के महीनों में फीमेल पेड़ों पर लगने वाले फूलों पर छिड़काव किया जाता है जिससे फूल फ्रूट में बदलते हैं। फार्म पर सिंचाई के लिए बोरवेल खुदे हुए हैं तथा सम्पूर्ण फार्म पर बूंद-बूंद सिंचाई पद्धति (ड्रिप सिस्टम) की स्थापना की कर खजूर की खेती को बूंद-बूंद सिंचाई से उत्पादित किया जा रहा है।
खजूर के पौधों पर 75% की सब्सिडी
खजूर के एक पौधे की कीमत 1500 रुपए। इसमें राज्य सरकार 75 प्रतिशत करीब 1125 रुपए तक की सब्सिडी देती हैं। सब्सिडी के बाद पौधे की कीमत 375 रुपये है। एक हेक्टेयर में 156 पौधे लग सकते हैं। खजूर के पेड़ को 4 साल तक 60 लीटर, 10 साल तक 100 और फिर 150 लीटर पानी चाहिए। पानी खारा हो तो भी चलेगा। पानी से ज्यादा तापमान जरूरी है, क्योंकि फ्रूट 45 डिग्री में पकता है। जैसलमेर के कई ग्रामीण इलाकों में बड़े पैमाने पर खजूर की खेती हो रही है।
पौधे तैयार कर किसानों को वितरित किए गए
अब राज्य के ग्रामीणों को खजूर की खेती रास आ रही है। भोजका स्थित डेट फार्म में प्रति वर्ष हजारों खजूर के पौधे तैयार कर किसानों को न्यूनतम सरकारी दरों पर वितरित कर रहे हैं। इस वर्ष 2023-24 तक 6000 पौधे तैयार कर किसानों को वितरित करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया हैं जिससे जैसलमेर के कई ग्रामीण इलाकों में बड़े पैमाने पर खजूर की खेती हो रही है।और इसकी डिमांड पूरे देश में बढ़ती जा रही है।
50 लाख की कमाई खजूर की खेती से
जैसलमेर के भोजका गांव में लगे खजूर फॉर्म हाउस ने किसानों को करीब 50 लाख के खजूर के पौधे बेचे हैं। पूरे प्रदेश के किसान इस साल इस खजूर फॉर्म हाउस से खजूर के पौधे खरीद कर लगाने के लिए ले गए हैं। प्रदेश में खजूर की खेती अब फलफूल रही है। इस खेती से किसान खजूर की पैदावार करके लाखों रुपए का मुनाफा कमाएंगे। भोजका गांव में लगे करीब 100 हेक्टेयर में फैले खजूर के फॉर्म हाउस में करीब 400 टन खजूर मिल रहा है।
सेंटर ऑफ एक्सिलेन्स फॉर खजूर उद्यान से खजूर के पौधे तैयार करके किसानों को बेचा भी जा रहा है और किसान खजूर कि खेती को सीखकर बड़ी संख्या में खेती के लिए इन पौधों को लेकर जा रहे हैं। एक पौधे की कीमत 1500 रुपये है। हालांकि सरकार की ओर से किसानों को 75% की सब्सिडी दी जाती है। लेकिन खजूर के खेत में पौधे का पूरा पैसा मिलता है। इस साल भी खजूर के खेत में चार हजार पौधे लगाने का लक्ष्य है। जिस पर फार्म द्वारा 4 हजार 105 पौधे तैयार किए गए हैं। जिसमें से 3 हजार 892 पौधे भी किसानों को बेचे जा चुके हैं। खजूर की खेती से भी 50 लाख रुपये की कमाई हुई है। इसके अलावा बाकी बचे 2 हजार पौधे तैयार हैं और करीब 30 लाख के पौधे और बिकेंगे।
शारंश – राजस्थान में खजूर की खेती
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