जोब फोर जोब योजना
जोब फोर जोब योजना के तहत कर्मचारी अपने पुत्र, पुत्री, दामाद या किसी अन्य परिवार वालों को अपनी नौकरी हस्तांतरित कर सकेंगेे। इस योजना का लाभ उन कर्मचारियों को मिलेगा जिनकी सेवानिवृत्ति की उम्र कम से कम साढ़े पांच साल बाकी हैै। आश्रितों को इसके लिए एक परीक्षा पास करनी होगी। परीक्षा में तीन बार शामिल होने का मौका दिया जायेगा।इसके बाद प्रशिक्षु के तौर पर उनकी नौकरी शुरू होगी। इस दौरान उन्हें स्टाइपेंड दिया जायेगा। प्रशिक्षण पूरा करने के बाद उनकी सेवा स्थायी की जायेगी। परीक्षा में असफल आश्रित को नौकरी से वंचित होना पड़ सकता है। नौकरी ट्रांसफर करने वाले कर्मचारी को प्रतिमाह 13 हजार रुपए दिए जायेंगे।
योग्यता के अनुसार कर्मचारियों के परिवार वालों को मिलेगी नौकरी
जोब फोर जोब योजना के तहत कर्मचारी अपने आश्रित (बेटा या बेटी, बहू, दामाद या अन्य परिवार वालों) को अपनी नौकरी दे सकते हैं। लेकिन योजना के तहत कर्मचारियों के आश्रितों को उनकी योग्यता के अनुसार टाटा स्टील में नौकरी मिलेगी। यदि आश्रित डिप्लोमा या बीटेक है तो उन्हें एसएन-7 में और आइटीआइ या मैट्रिक पास (अंग्रेजी अनिवार्य) है तो उन्हें एनएस-4 में बहाल किया जाएगा। लेकिन इससे पहले उन्हें शावक नानावटी टेक्नीकल इंस्टीट्यूट (एसएनटीआइ) में दो वर्ष का कोर्स करना होगा। कोर्स करने के बाद उन्हें ऑल इंडिया काउंसिल फॉर टेक्नीकल एजुकेशन (एआइसीटीई) की परीक्षा में सफल भी होना होगा। तब तक उन्हें तय स्टाइपेंड मिलेगा। वहीं, उस कर्मचारी काे मिलने वाला बेसिक-डीए बंद हो जाएगा और इसके बदले में उन्हें 13,000 रुपये का मेंटेनेंस एलाउंस मिलेगा। टाटा स्टील प्रबंधन ने शुक्रवार को इस संबंध में अधिसूचना जारी कर दी है।
उम्मीदवारों को देना होगा परीक्षा
इस परीक्षा में तीन बार शामिल होने का मौका दिया जायेगा। इसके बाद ट्रेनी के तौर पर उनकी सेवा शुरू होगी। इस दौरान उन्हें स्टाइपेंड दिया जायेगा। ट्रेनिंग पूरा करने के बाद उनकी सेवा स्थायी की जायेगी। परीक्षा में असफल आश्रित को नौकरी से वंचित होना पड़ सकता है। इसके लिए वैसे कर्मचारी आवेदन कर सकते हैं, जिनकी आयु या तो 40 साल से ज्यादा है या जो कंपनी में दस साल से अधिक समय तक काम कर चुके हैं। इन स्कीमों के लिए कर्मियों के चयन का अधिकार प्रबंधन के पास होगा।
मिलेंगी ये सुविधाएं
जोब फोर जोब योजना के तहत संबंधित कर्मचारी, उसके पति या पत्नी, बेटे को 24 वर्ष की आयु तक और बेटी को उसके विवाह के पूर्व तक कंपनी के हॉस्पिटल में इलाज की सुविधा मिलेगी। कर्मचारी को 58 वर्ष की उम्र तक या योजना का लाभ लेने के बाद अधिकतम छह वर्ष तक क्वार्टर में रहने की सुविधा मिलेगी। यदि उनके आश्रित भविष्य में कंपनी के स्थायी कर्मचारी बनते हैं, तो उन्हें क्वार्टर के लिए 10 अतिरिक्त प्वाइंट मिलेंगे। इसके अलावा कर्मियों को पीएफ, ग्रैच्युटी, फेयरवेल गिफ्ट, पेंशन स्कीम का लाभ कंपनी के नियमों के तहत मिलेगा।
फेल होने पर तीन बार मिलेगा मौका
जोब फोर जोब योजना लेने के बाद संबधित कर्मचारी के आश्रित को दो वर्ष का प्रशिक्षण काल पूरा करना होता है। इसके बाद उन्हें एआइसीटीई की परीक्षा में सफल होना होता है। पहले संबधित कर्मचारी यदि दो बार फेल हुआ तो वह नियोजन प्रक्रिया से बाहर हो जाता था। लेकिन नई व्यवस्था के तहत आश्रित को दो के बजाए तीन बार परीक्षा में बैठने का मौका मिलेगा। फिर भी पास नहीं होने पर संबधित कर्मचारी को फिर से उनका बेसिक-डीए मिलना शुरू हो जाएगा।
जोब फोर जोब योजना की मुख्य शर्तें
- कम से कम दस साल तक नौकरी करने वाले कर्मचारियों को ही इस योजना का लाभ मिलेगा।
- जिन कर्मचारियों की नौकरी 5 साल की बची होगी उन्हें इस योजना का लाभ दिया जाएगा।
- मेडिकल फिटनेस नहीं होने पर जोब फोर जोब योजना का लाभ नहीं मिल सकेगा।
- डिप्लोमा, आईटीआई और इंजीनियरिंग किया है तो एक साल की ट्रेनिंग लेने के बाद एन एस फोर में ज्वाइन करेगा।
- डिप्लोमा, आईटीआई या इंजीनियरिंग नहीं किया है तो दो साल का प्रशिक्षण लेना होगा तभी एन एस फोर की श्रेणी में ज्वाइन करेगा।
- जिस क्वार्टर में रह रहे हैं, नौकरी पाने वाले उनकेे बेटा, बेटी, बहू या दामाद या अन्य परिवार वालों के नाम पर आवंटित हो जाएगा।
- अगर चाहे तो एक साल के प्रशिक्षण के बाद एन एस वन में ज्वाइन कर सकते हैं।
- नौकरी छोड़ने के बाद पहले साल 6000 रुपए कंपनी की ओर से पेंशन मिलेगा। यह राशि हरेक साल 250 रुपए बढ़ जाएगी।
- नौकरी छोड़ने वाले कर्मचारी को वर्तमान की तरह टीएमएच में मेडिकल सुविधा मिलती रहेगी।
निष्कर्ष – टाटा स्टील जोब फोर जोब योजना