हिमाचल प्रदेश सरकार ने सेबों के बागवानों को मंडी मध्यस्थता योजना में बकाया राशि में से 23 करोड़ रुपए जारी कर दिए हैं। बागवानों से सी ग्रेड सेब की खरीद करने वाली सरकारी एजेंसियों एचपीएमसी और हिमफेड को साढ़े ग्यारह साढ़े ग्यारह करोड़ जारी किए गए हैं। प्रदेश के करीब 2 लाख बागवान परिवारों का पिछले सेब सीजन का 56 करोड़ प्रदेश सरकार पर बकाया है। संयुक्त किसान मंच लंबे समय से एमआईएस का बकाया पैसा बागवानों को जारी करने की मांग उठा रहा था।
सेब की फसल पर सकंट
मौसम की मार से इस साल सेब की फसल पर संकट गहरा गया है। बेमौसमी बारिश और ओलावृष्टि से सेब की फसल को भारी नुकसान हुआ है। तापमान में भारी बढ़ोतरी से भी सेब की फसल प्रभावित हो रही है। बागवान सेब सीजन को लेकर चिंतित हैं। पिछले साल भी बागवानों को मौसम की मार के कारण बड़ा नुकसान उठाना पड़ा था। इस सीजन में भी स्प्रे, खाद, पैकिंग सामग्री सहित अन्य खर्चों के लिए बागवानों को इस समय पैसे की जरूरत है।
राज्य सरकार और केंद्र सरकार द्वारा भुगतान
एमआईएस में खरीदे सेब का बागवानों को 50% प्रदेश सरकार और 50% केंद्र सरकार द्वारा भुगतान किया जाता था। लेकिन, बीते साल केंद्र सरकार ने एमआईएस के लिए बजट खत्म कर दिया। औपचारिकता के लिए पूरे देश के बागवानों के लिए महज एक लाख रुपए बजट रखा गया। केंद्र से मदद न मिलने के कारण अब प्रदेश सरकार को ही पूरा पैसा चुकाना होगा। बीते साल बागवानों से सरकार ने करीब 52915 मीट्रिक टन सेब खरीदा था। जिसकी 80 करोड़ की देनदारी बकाया थी।
पूरी राशि जारी करने की मांग
मंडी मध्यस्थता योजना में पिछले साल बागवानों से खरीदे गए सेब के एवज में एक और किस्त जारी की गई है। एचपीएमसी को 11.50 करोड़ रुपए और हिमफेड को भी 11.50 करोड़ रुपए जारी किए गए हैं। सरकार के आदेशों पर जल्दी ही बाकी बकाया राशि भी जारी कर दी जाएगी। संयुक्त किसान मंच के संयोजक हरीश चौहान और सह संयोजक संजय चौहान ने प्रदेश सरकार से मंडी मध्यस्थता योजना के तहत बकाया पूरी राशि 56 करोड़ रुपए जारी करने की मांग की है। साथ ही पैसा बागवानों के बैंक खातों में डीबीटी के माध्यम से डालने की मांग की है।
यूनिवर्सल कार्टून होंगे इस्तेमाल
हिमाचल प्रदेश में सेब व अन्य फलों को ऑनलाइन प्लेटफार्म पर बेचने का फैसला लिया गया है। मंडी मध्यस्थता योजना के तहत विभिन्न माध्यमों से अपने उत्पादों की बिक्री को गति देने के लिए एक वितरण नीति शुरू की है। जिसमें अगले सेब सीजन के दौरान सेब उत्पादकों को केवल यूनिवर्सल कार्टून उपलब्ध करवाने और टेलीस्कोपिक कार्टून की बिक्री पूरी तरह बंद करने का फैसला लिया है।
पिछले बजट में जारी किए थे 1550 करोड़
केंद्र सरकार ने मंडी मध्यस्थता योजना के लिए पिछले वर्ष के बजट में 1550 करोड़ रुपए का प्रावधान किया था और इस वर्ष के बजट में मात्र एक लाख रुपए का ही प्रावधान किया गया है। मंडी मध्यस्थता योजना के तहत सरकार मंडी में किसानों को कम दाम न मिले, इसके लिए देश में उन फसलों की खरीद करती है, जिनको न्यूनतम समर्थन मूल्य नहीं दिया जाता है। इनमें मुख्यता सेब, किन्नू, संतरा, आलू, प्याज, लहसुन ,बंद गोभी, नारियल, धनियां, मिर्च ,काली मिर्च, लौंग, सरसों आदि फसलों की खरीद की जाती रही है। इसके लिए केंद्र व राज्यों के द्वारा 50 – 50 प्रतिशत धन उपलब्ध करवाया जाता है।
निष्कर्ष – मंडी मध्यस्थता योजना
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